ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एचएम जयराम के खिलाफ जांच सीबी-सीआईडी को स्थानांतरित कर दी। इससे पहले प्रदेश सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह चाहती है कि एडीजीपी से जुड़े कथित अपहरण मामले की जांच पूरी होने तक उनका निलंबन जारी रहे।
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह एडीजीपी से जुड़े मामलों को किसी अन्य पीठ को स्थानांतरित कर दें, क्योंकि पीठ ने हाईकोर्ट के उस निर्देश को खारिज कर दिया जिसमें पुलिस को जयराम को हिरासत में लेने को कहा गया था। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास निलंबन आदेश का विरोध करने के लिए अपने उपाय हैं। हालांकि, विवादास्पद परिस्थितियों को देखते हुए, हमारा मानना है कि इस मामले की जांच सीबी-सीआईडी को सौंपी जानी चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि राज्य के वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।
निलंबन आदेश को चुनौती दे सकते हैं एडीजीपी
जयराम के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश से पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था और उनके खिलाफ कोई जांच या एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। इसलिए राज्य की ओर से यह गलत है कि निलंबन आदेश हाईकोर्ट के समक्ष कार्यवाही से संबंधित नहीं था। हालांकि, पीठ ने कहा कि यदि निलंबन आदेश गलत है तो वरिष्ठ अधिकारी इसे उचित कार्यवाही में चुनौती दे सकते हैं। पीठ ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि क्या वह जयराम के खिलाफ जांच विशेष शाखा या सीआईडी को सौंप सकती है।
राज्य सरकार ने कहा था कि वह अपहरण मामले की जांच पूरी होने तक उनका निलंबन जारी रखना चाहती है। दवे ने कहा कि एडीजीपी जयराम का निलंबन अपहरण मामले में 16 जून के आदेश के बाद नहीं हुआ, बल्कि उन पर अन्य आरोप भी थे।































