ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईआरसीटीसी) 25वीं और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईआरएफसी) 26वीं नवरत्न कंपनी बन गई हैं। सरकार ने इन दोनों कंपनियों को नवरत्न सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज में अपग्रेड कर दिया।
नवरत्न का दर्जा मिलने से इन दोनों रेलवे सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को ज्यादा वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी। अब ये कंपनियां सरकार की मंजूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपए तक का निवेश कर पाएंगी। इससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता में तेजी आएगी।
मझगांव डॉक को मिला था ‘नवरत्न’ का दर्जा
इससे पहले जुलाई 2024 में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स को नवरत्न कंपनियों के ग्रुप में जोड़ा गया था। वहीं सितंबर में सतलुज जल विद्युत निगम, नेशनल हाइड्रोइलेक्टि्रक पावर कॉरपोरेशन, सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन और रेलटेल कॉरपोरेशन को ‘नवरत्न’ का दर्जा मिला था।
तीन ग्रुप में कैटेगराइज होती हैं सरकारी कंपनियां
भारत सरकार कंपनियों को तीन ग्रुप में कैटेगराइज करती है: महारत्न, नवरत्न और मिनिरत्न। सरकार कुछ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज (पीएसई) को उनके फाइनेंशियल परफॉरमेंस, मैनेजमेंट और राष्ट्रीय महत्व के आधार पर नवरत्न और महारत्न का दर्जा देती है।
महारत्न: नवरत्न कंपनियों को ही अपग्रेडेशन के आधार पर महारत्न का दर्जा मिलता है। इसके लिए पिछले तीन सालों का औसतन टर्नओवर 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा होना चाहिए और औसत प्रॉफिट 2500 करोड़ रुपए होना जरूरी है। इन कंपनियों का ग्लोबल प्रजेंस होना भी जरूरी है।
नवरत्न: मिनिरत्न कंपनियों को ही अपग्रेडेशन के आधार पर नवरत्न का दर्जा मिलता है। इन कंपनियों की नेटवर्थ पॉजिटिव होनी चाहिए। मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग में पिछले पांच वर्षों में से तीन में एक्सिलेंट या वेरी गुड रेटिंग होनी चाहिए। परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स पर कम से कम 60 अंक होने चाहिए।
मिनिरत्न: इन कंपनियों को नवरत्न और महारत्न कंपनियों से छोटी माना जाता है। मिनिरत्न के रूप में क्लासिफाई होने के मानदंड भारत में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक एंटरप्राइज (डीपीई) द्वारा निर्धारित किए जाते है। लगातार 3 सालों तक 30 करोड़ रुपए से अधिक प्रॉफिट दर्ज करने से ये टैग मिल सकता है।
1986 में हुई थी आईआरएफसी की स्थापना
इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईआरएफसी) भारतीय रेलवे को फंड करती है। भारतीय रेलवे की अतिरिक्त बजटीय संसाधनों की आवश्यकता के प्रमुख हिस्से को पूरा करने के लिए घरेलू और विदेशी बाजारों से धन जुटाने के लिए दिसंबर 1986 में कंपनी की स्थापना की गई थी।
मुनाफा 1,630 करोड़ रुपये रहा
आईआरएफसी का वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में मुनाफा सालाना आधार पर 1.93% बढ़कर 1,630 करोड़ रुपये रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में ये ₹1,599 करोड़ था। कंपनी के रेवेन्यू में सालाना आधार पर 0.38% की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में ऑपरेशन से रेवेन्यू ₹6,763 करोड़ रहा। एक साल पहले की समान तिमाही में रेवेन्यू ₹6,737 करोड़ था।
आईआरसीटीसी का सफर
इंडियन रेलवे कैटरिंग एवं टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) भारत सरकार के रेल मंत्रालय के अंतर्गत एक ‘मिनी रत्न (श्रेणी-I)’ सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज है। आईआरसीटीसी को 27 सितंबर 1999 को भारतीय रेलवे की एक शाखा के रूप में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य स्टेशनों, ट्रेनों और अन्य स्थानों पर कैटरिंग और हॉस्पिटैलिटी को मैनेज करना है। इसके साथ ही बजट होटल्स, स्पेशल टूर पैकेज, इनफॉर्मेशन एंड कॉमर्शियल पब्लिसिटी और ग्लोबल रिजर्वेशन सिस्टम के डेवलपमेंट के माध्यम से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देना है।































