ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की नजरें अब ह्यूमन स्पेसफ्लाइट और मंगल मिशन पर हैं। चांद और मंगल की प्लानिंग अब सिर्फ रॉकेट से नहीं, रियल एक्सरसाइज से हो रही है। इसी सोच का हिस्सा है ‘होप’ (हिमालयन आउटपोस्ट फॉर प्लेनेटरी एक्सप्लोरेशन)। यह एक हाई-ऑल्टिट्यूड एनालॉग मिशन है। इसे पिछले दिनों लद्दाख के त्सो कर में लॉन्च किया गया।  इसे ‘मिनी मंगल’ भी कहा जा रहा है। इसरो चीफ डॉ. वी. नारायणन ने इसे इनॉगरेट किया। इस मिशन का ड्यूरेशन 10 दिन और लोकेशन 4530 मीटर ऊंचाई वाला त्सो कर रही। ये जगह किसी दूसरी दुनिया जैसी लगती है। ठंड, कम ऑक्सीजन, सूखा एनवायरनमेंट, एकदम मंगल ग्रह जैसा।
क्या है ‘होप’ मिशन का मकसद?
अब बात करें मिशन के गोल की, तो ये कोई रोवर भेजने वाला मिशन नहीं है। ये एक रियल-लाइफ ट्रेनिंग है, जिसमें इंसानों को स्पेस जैसी कंडीशंस में रखा जाएगा ताकि देखा जा सके कि बॉडी और माइंड कैसे रिस्पॉन्ड करता है। इसरो इसे एक मार्स सिमुलेशन मानता है। इसका फोकस है, ह्यूमन बॉडी की लिमिट्स को टेस्ट करना, मिशन प्रोटोकॉल को वेरिफाई करना और टेक्नोलॉजी को प्रैक्टिकल कंडीशंस में चलाना।
 रॉ, रफ और सुपर टफ
लद्दाख की ये जगह रॉ है, रफ है और सुपर टफ है। कम ऑक्सीजन है, टेम्प्रेचर एक्स्ट्रीम है, मौसम अचानक बदलता है। यही सारी चीजें मंगल की सर्फेस से मैच करती हैं। नासा और ईएसए भी ऐसी ट्रेनिंग करते हैं और अब इसरो भी उसी रास्ते पर है। ‘होप’ मिशन में जो एक्टिविटी होगी, वो बहुत टारगेटेड है।
 फिजियोलॉजी एक्सरसाइज: पता लगाया जाएगा कि हाई ऑल्टिट्यूड पर बॉडी कैसे बिहेव करती है।













 
			
















