ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। न्यायाधीश संजीव खन्ना को 11 नवंबर 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है। उनका कानूनी करियर काफी विशिष्ट रहा है। वह जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं, जहां उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक, वाणिज्यिक और पर्यावरण कानून में है तथा उन्हें चुनावी सुधारों और अनुच्छेद 370 के उन्मूलन पर महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए जाना जाता है।
न्यायाधीश संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ। उन्हें सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ के स्थान पर नया मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
आपको बता दें कि 18 जनवरी 2019 को अपनी नियुक्ति के बाद से वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सदस्य हैं। वर्तमान में वह लगभग 5 वर्ष 9 महीने से इस पद पर हैं। सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्ति से पहले उन्होंने 24 जून 2005 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया था।
उनकी कानूनी पृष्ठभूमि उत्कृष्ट है तथा उन्होंने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण कराया था।
शुरुआत में उन्होंने तीस हजारी स्थित जिला न्यायालय में प्रैक्टिस की और बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय चले गए, जहां उन्होंने संवैधानिक कानून, कराधान, मध्यस्थता और पर्यावरण कानून सहित विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की।
24 जून 2005 को उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया तथा 20 फरवरी 2006 को वे स्थायी न्यायाधीश बने।
न्यायमूर्ति खन्ना को 18 जनवरी, 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिखे और विभिन्न पीठों में कार्य किया। अपनी न्यायिक जिम्मेदारियों के अतिरिक्त वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी हैं तथा दिल्ली न्यायिक अकादमी और अन्य विधिक संस्थाओं से भी जुड़े रहे हैं। उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना दिल्ली उच्च न्यायालय में सेवारत थे और उनके चाचा न्यायमूर्ति हंस राज खन्ना सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। जो ऐतिहासिक बंदी प्रत्यक्षीकरण मामले में अपनी असहमतिपूर्ण राय के लिए जाने जाते थे।