ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश में एमडी, एमएस और डीएनबी जैसे पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए नीट पीजी सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षा है। नीट पीजी रिजल्ट के बाद काउंसलिंग के जरिए एमडी, एमएस और डीएनबी जैसे पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज में एडमिशन मिलता है।
ऑल इंडिया कोटा क्या है?
ऑल इंडिया कोटा पीजी मेडिकल कोर्सेज की सीटों का एक राष्ट्रीय पूल है जिसमें दाखिले के लिए उम्मीदवारों का निवास या राज्य नहीं देखा जाता। इसे और सरल शब्दों में कहें तो सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सभी एमडी, एमएस और पीजी डिप्लोमा सीटों में से 50 फीसदी ऑल इंडिया कोटे के तहत आवंटित की जाती हैं। इसका मतलब है कि कोई भी उम्मीदवार इस श्रेणी के तहत किसी भी अन्य राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकता है, चाहे उसने कहीं से भी एमबीबीएस किया हो।
स्टेट कोटा क्या है
शेष 50 फीसदी सीटों को स्टेट कोटा सीटें कहा जाता है, जिनका मैनेजमेंट संबंधित राज्य अथॉरिटी द्वारा अलग से किया जाता है और ये केवल उन्हीं उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध होती हैं जो उस राज्य के डोमिसाइल नियमों को पूरा करते हैं।
कब हुई एआईक्यू कोटा की शुरुआत
मेडिकल एजुकेशन में समान अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के 1986 के एक निर्देश के परिणामस्वरूप ऑल इंडिया कोटा सिस्टम की शुरुआत हुई। शुरुआत में राज्य ऑल इंडिया कोटे से केवल 25 प्रतिशत सीटें ही भर सकते थे। हालांकि छात्रों की सुविधा और योग्यता बेस्ड एडमिशन सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए 2009 में ऑल इंडिया कोटे को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। कम मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर वाले राज्यों की तुलना में जिन राज्यों में सरकारी कॉलेजों की संख्या अधिक है, वहां समान अवसर सुनिश्चित करने में ऑल इंडिया कोटा बेहद कारगर रहा है।
ऑल इंडिया कोटा काउंसलिंग
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधीन कार्यरत मेडिकल काउंसलिंग कमिटी ऑल इंडिया कोटा काउंसलिंग कराती है। एमसीसी ही नीट पीजी ऑल इंडिया कोटा काउंसलिंग कराती है।































