ब्लिट्ज ब्यूरो
दमिश्क। सीरिया के उन इलाकों में जहां कुर्द आबादी ज्यादा है, वहां अकसर तुर्की बमबारी करता रहता है। कई एक्सपर्ट्स ने लगातार मांग की है कि भारत को कुर्दों के साथ खड़ा होना चाहिए। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अगर तुर्की, पाकिस्तान की मदद करता है, भारत में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए दिन रात काम करता है तो भारत को भी एर्दोगन को सबक सिखाने के लिए काम करना चाहिए। ये इस कहानी का एक पहलू है।
सीरिया फिर से अस्थिर हो चुका
दूसरा पहलू ये है कि इजरायल ने पिछले कुछ दिनों से सीरिया में तबाही मचाने वाली बमबारी की है जिससे सीरिया फिर से अस्थिर हो चुका है। खासकर राजधानी दमिश्क और उत्तरी क्षेत्रों में स्थिति काफी बिगड़ चुकी है। ऐसे में सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) के कमांडर जनरल मजलूम आब्दी, जो कुर्दों का नेतृत्व करते हैं और जो डेमोक्रेटिक ऑटोनॉमस एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ नॉर्थ एंड ईस्ट सीरिया के सबसे सीनियर नेताओं में से एक हैं, उन्होंने भारत से महत्वपूर्ण मदद मांगी है। जनरल मजलूम आब्दी की पार्टी कट्टरपंथ का विरोध करती है। उनकी पार्टी सीरिया में एक सेक्युलर सरकार की स्थापना करना चाहती है लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति अबु जोलानी, जिनके संबंध एक वक्त अलकायदा और आईएसआईएस से रहे हैं, वो चाहते हैं कि जनरल मजलूम आब्दी 10 मार्च को हुए समझौते का पालन करे, लेकिन जनरल आब्दी विकेन्द्रीकृत सरक्षा व्यवस्था की मांग कर रहे हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद भले ही राहत की सांस ली गई हो, लेकिन सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है, जिससे आईएसआईएस जैसी आतंकी ताकतों को दोबारा संगठित होने का मौका मिल रहा है। उनकी मांग है कि सीरिया की सरकार में हर जाति और धर्म के लोगों को शामिल किया जाए और लैंगिक समानता को बढ़ाया जाए, लेकिन आतंकवादी से राष्ट्रपति बने अबू जोलानी इसे सीरिया की संप्रुभता का उल्लंघन बता रहे हैं।
मीडिया को दिए गये इंटरव्यू में जनरल मजलूम आब्दी ने कहा है कि कई देशों के सैनिक यहां अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के ठिकानों पर तैनात हैं और हमारी सेनाओं का समर्थन करते हैं। ये देश राजनीतिक प्रक्रिया में भी सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं और सीरियाई लोगों के अपने देश में शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक भविष्य के निर्माण के प्रयासों का समर्थन कर सकते हैं। भारत जैसे देश और अन्य एशियाई देश सीरिया में पुनर्निर्माण प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मैत्रीपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि तुर्की के पाकिस्तान प्रेम पर हथौड़ा चलाने के लिए भारत को ऐसा कदम उठाना चाहिए और कुर्दों की मदद के लिए खुलकर सामने आना चाहिए। अगर भारत कुर्दों की मदद करता है तो तुर्की के लिए ये एक बड़ा सबक होगा।