ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के आवास पर पिछले महीने गणपति पूजा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। इस पर विपक्षी कांग्रेस से लेकर रिटायर्ड जजों और कई जाने-माने वकीलों ने खूब सवाल उठाए थे। ऐसे में जब सीजेआई चंद्रचूड़ से सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोगों से जजों की मुलाकात के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि ‘हममें यह समझने की परिपक्वता होनी चाहिए कि इसका न्यायिक कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसत्ता के मुख्य संपादक गिरीश कुबेर ने सीजेआई से पूछा कि क्या गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस या किसी अन्य अवसर जैसे त्योहारों पर उच्च न्यायपालिकाओं के सदस्यों और नेताओं के बीच बैठकें होती हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, ‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि राज्यों में एक परंपरा है कि राज्य के मुख्य न्यायाधीश और सीएम के बीच नियमित बैठकें होती हैं। अब लोग क्या सोचते हैं, वे क्यों मिलते हैं? आप कभी किसी निर्णय (न्यायिक) के लिए नहीं मिलते और हमारी राजनीतिक व्यवस्था की परिपक्वता इस तथ्य में निहित है कि न्यायपालिका के प्रति बहुत अधिक सम्मान है, यहां तक कि राजनीतिक वर्ग में भी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अदालत में नए भवनों, जिलों में न्यायाधीशों के लिए आवास सहित न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए बजट सरकार की तरफ से मंजूर किए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘इसके लिए, मुख्य न्यायाधीश और सीएम की बैठक जरूरी हो जाती है। मैं उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश था। मैंने बॉम्बे हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति में काम किया और किसी राज्य में, एक परंपरा है कि जब पहली बार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है, तो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राज्य के सीएम के पास जाते हैं। दूसरी बार सीएम चीफ जस्टिस से मिलते हैं। ऐसी बैठकों के लिए एक अलग एजेंडा होता है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा, ‘निश्चित रूप से, हमें यह समझने की परिपक्वता होनी चाहिए कि इसका न्यायिक कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है.’ उन्होंने कहा, ‘अगर स्वतंत्रता दिवस है, गणतंत्र दिवस है, किसी के घर शादी है, या कोई शोक है तो मुख्य न्यायाधीश भी मिलते हैं।
हमें यह समझना होगा कि सरकार के तीन अंगों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का एक ही लक्ष्य- राष्ट्र की बेहतरी के लिए समर्पित है और जब तक हम इस प्रक्रिया पर भरोसा करते हैं, मुझे लगता है, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि संवाद जारी रहना चाहिए।