ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर ) में विकास की नई तस्वीर तैयार हो रही है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत दिल्ली को घेरने वाले दो एक्सप्रेसवे के किनारे पांच अत्याधुनिक नियोजित शहर बसाए गए हैं। इन नए शहरों से दिल्ली पर बढ़ते जनसंख्या के बोझ को कम करने के साथ-साथ आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर निवेश और रोजगार के अवसर पैदा हो रहा है।
यह पूरा प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (एनसीआरपीबी) की ‘काउंटर मैग्नेट’ नीति का हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली से लोगों का दबाव हटाकर हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के निकटवर्ती क्षेत्रों को नए औद्योगिक, व्यावसायिक और आवासीय केंद्र के रूप में विकसित करना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन एक्सप्रेसवे के आसपास करीब 700 गांवों की जमीन के दाम आने वाले वर्षों में कई गुना बढ़ जाएंगे।
एनसीआरपीबी ने बसाए पांच नए शहर
एनसीआरपीबी ने पांचों नए शहरों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की प्रक्रिया लगभग पूरी कर ली है। जल्द ही सलाहकार एजेंसियों का चयन हो जाएगा। ये शहर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे।
अब बेहतर होगी सुविधाएं
इनमें विश्वस्तरीय सड़कें, तेज रफ्तार यातायात व्यवस्था, स्मार्ट सिटी सुविधाएं, भरपूर हरियाली, पर्यावरण अनुकूल भवन और आधुनिक नागरिक सेवाएं शामिल होंगी।
इस परियोजना से किन लोगों को होगा लाभ
इस परियोजना शुरू होने के बाद रियल एस्टेट, निर्माण, उद्योग और सेवा क्षेत्र में भारी निवेश की उम्मीद है। इससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और पूरे एनसीआर की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी।
चिन्हित भूमि इन राज्यों की है
अभी उत्तर प्रदेश हरियाणा और राजस्थान सरकारों के साथ मिलकर जमीन चिह्नित करने और अधिग्रहण का काम चल रहा है। डीपीआर मंजूर होते ही निर्माण कार्य तेज हो जाएगा।
अधिकारियों ने दी जानकारी
अधिकारियों का कहना है कि ये नए शहर और बेहतर कनेक्टिविटी मिलकर एनसीआर को अंतरराष्ट्रीय स्तर का शहरी क्षेत्र बनाएंगे तथा आने वाली पीढ़ी के लिए संतुलित और टिकाऊ विकास का रास्ता खोलेंगे।
क्या है इस एक्सप्रेसवे का उद्देश्य?
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) पूरी तरह चालू है। 135 किलोमीटर लंबा यह 6-लेन एक्सप्रेसवे दिल्ली के चारों ओर रिंग रोड का पूर्वी हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारी वाहनों को दिल्ली में घुसने से रोकना और प्रदूषण कम करना है। वर्तमान में बागपत के बड़ागांव में नया इंटरचेंज और यमुना एक्सप्रेसवे से कनेक्शन का काम 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
इन शहरों का हो रहा है फायदा
ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के किनारे बसे कुछ बड़े शहर हैं सोनीपत, बागपत, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, खरखौदा, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, मानेसर, नूंह, सोहना और पलवल। ये दोनों एक्सप्रेसवे मिलकर दिल्ली के चारों ओर एक बड़ा रिंग रोड बनाते हैं, जिससे इस इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर होती है.
वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे
के किनारे बसे शहर
सोनीपत, खरखौदा, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, मानेसर, नूंह, सोहना, पलवल हैं जबकि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के किनारे बसे शहर हैं सोनीपत (वेस्टर्न पेरिफेरल से जुड़ता है), बागपत, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, फरीदाबाद, पलवल (वेस्टर्न पेरिफेरल से जुड़ता है।)
दिल्ली एनसीआर के चारों ओर है ये एक्सप्रेसवे
दोनों एक्सप्रेसवे का काम पूरा हो चुका है और चालू हो गया है। ये एक्सप्रेसवे और रिंग रोड मिलकर दिल्ली के चारों ओर सबसे बड़ा रिंग रोड बनाते हैं।



























