गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। ईस्ट एशिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र और दक्षिण चीन सागर को लेकर वे सारी बातें कहीं जो इस क्षेत्र में आक्रामक रवैया अपना रहे चीन को नागवार गुजर सकती हैं। मोदी ने समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र को कानून सम्मत बनाते हुए यहां की समुद्री गतिविधियों को संयुक्त राष्ट्र के संबंधित कानून (अनक्लोस) से तय किए जाने की मांग को और दक्षिण चीन सागर के संदर्भ में एक ठोस व प्रभावी आचार संहिता बनाने की भी बात कही। आसियान के सभी दस सदस्य देश भी इसकी मांग कर रहे हैं।
एक दिन पहले चीन के प्रधानमंत्री ली शिवंग के साथ बैठक में भी आसियान नेताओं ने इन मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया था। भारतीय प्रधानमंत्री ने इसके साथ ही दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में चल रहे तनाव के संदर्भ में कहा, ‘विश्व के अलग-अलग क्षेत्रों में चल रहे तनाव का सबसे नकारात्मक प्रभाव ग्लोबल साउथ के देशों पर हो रहा है। सभी चाहते हैं कि चाहे यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता की बहाली हो। उन्होंने कहा कि मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान रणभूमि से नहीं कल सकता। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का आदर करना आवश्यक है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए संवाद और कूटनीति को प्रमुखता देनी होगी। विश्वबंधु के दायित्व को निभाते हुए भारत इस दिशा में हर संभव योगदान देता रहेगा।’ मोदी ने आतंकवाद को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बताते हुए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों से एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री मोदी को सबसे पहले आमंत्रण
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 19वें ईस्ट एशिया सम्मेलन में सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी को भाषण के लिए आमंत्रित किया गया। वजह यह थी कि सम्मेलन में शामिल सभी नेताओं में सबसे ज्यादा बार (नौ बार) प्रधानमंत्री मोदी ने ही इस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया है। यह आसियान के मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका को भी बताता है। उन्होंने सम्मेलन में शामिल सभी नेताओं को नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले उच्च शिक्षा सम्मेलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
म्यांमार पर भी आसियान के रुख का समर्थन
लाओस की राजधानी वियनतियाने में पिछले दो दिनों में आसियान के नेताओं के साथ और उसके बाद ईस्ट एशिया सम्मेलन में म्यांमार की स्थिति पर चर्चा हुई है। इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘म्यांमार की स्थिति पर हम आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम पांच बिंदुओं पर बनी सहमति म्यांमार में अशांति दूर करने के लिए प्रस्तावित) का भी समर्थन करते हैं।’ उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार पड़ोसी देश म्यांमार को मानवीय सहायता बनाए रखने के पक्ष में है और लोकतंत्र की बहाली के लिए उपयुक्त कदम भी उठाए जाने चाहिए।