ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर से लेकर बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर हुए हंगामे के साथ संसद का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। यह सत्र सरकार और विपक्ष के बीच लगातार टकराव, अंतिम दो सप्ताह में थोक में निपटाए गए विधायी कामकाज, जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफे और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने के कारण चर्चा में रहा।
एसआईआर पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के 166 घंटे बर्बाद हो गए। इससे जनता के टैक्स के करीब 248 करोड़ रुपये डूब गए। विशेष चर्चा के बाद ऑपरेशन सिंदूर मामले में टकराव टला, मगर एसआईआर को लेकर सियासी संग्राम अंतिम दिन तक जारी रहा। हंगामे के कारण लोकसभा के 84.5 घंटे, जबकि उच्च सदन राज्यसभा के 81.12 घंटे बर्बाद हो गए। राज्यसभा की कार्यवाही 38.88 घंटे ही चल सकी। किसी भी सदन की एक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख रुपये खर्च होते हैं।
सरकार विधायी कामकाज निपटाने के मामले में हड़बड़ी में दिखी। दोनों सदनों में 27 विधेयक पारित हुए। हालांकि, विपक्ष के हंगामे के बीच सभी विधेयक या तो बिना किसी चर्चा के या चर्चा की औपचारिकता निभाकर ध्वनिमत से पारित कराए गए। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर विशेष चर्चा में भी विपक्ष ने हिस्सा नहीं लिया और यह चर्चा अधूरी रही।
एक घंटे का खर्च 1.5 करोड़ रुपये बैठता है
लोकसभा में कार्यवाही न चलने से 126 करोड़ रुपये और राज्यसभा में करीब 122 करोड़ बर्बाद हुए। हालांकि, अंतिम नौ कार्य दिवसों में ताबड़तोड़ विधायी कामकाज निपटाए गए। राज्यसभा में 15 तो लोकसभा में 12 विधेयक पारित किए गए।
हंगामे की भेंट चढ़ा पूरा सत्र
सत्र की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर पर हंगामे और पहले ही दिन उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से हुई। जस्टिस वर्मा के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव शुरू करने की कोशिश पर विवाद के बाद धनखड़ के नाटकीय इस्तीफे को विपक्ष ने मुद्दा बनाया। विपक्ष अंतिम दिन तक एसआईआर पर चर्चा की मांग पर अड़ा रहा। इस कारण दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार बाधित रही।
महाभियोग का रास्ता हुआ साफ
बड़ी मात्रा में जली नकदी बरामदगी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति बनी। इस संदर्भ में सभी पक्षों की ओर से दिए गए नोटिस को स्वीकार करते हुए स्पीकर ने नियमानुसार तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया।
मनी गेमिंग समेत कई विधेयक पास
हंगामे के बावजूद सरकार विधायी कामकाज निपटाने में सफल रही। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री व राज्यों के मंत्रियों को संगीन अपराध में 30 दिनों को हिरासत या जेल के बाद पद से हटाने संबंधी तीन अहम विधेयक पेश किए गए, जिसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया। ऑनलाइन गेमिंग की आड़ में सट्टेबाजी और जुए को दंडनीय अपराध बनाने वाले ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक पर संसद की मुहर लगी। इस विधेयक में ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के साथ प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव है। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह कानून बन गया।