आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना में 18 जून को एक नया युद्धपोत शामिल होने जा रहा है। इसका नाम आईएनएस ‘अर्नाला’ है। यह एक छोटा युद्धपोत है, जिसे एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों के लिए बनाया गया है। इसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने एल एंड टी शिपबिल्डर्स के साथ मिलकर बनाया है। इस युद्धपोत को विशाखापत्तनम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान कमीशन करेंगे। यह 16 स्वदेशी छोटे युद्धपोतों में से पहला है, जिन्हें भारतीय शिपयार्ड में 12,622 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। यह युद्धपोत भारत की समुद्री शक्ति को बढ़ाएगा और समंदर में देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
77 मीटर लंबा,वजन 1,490 टन
आईएनएस ‘अर्नाला’ 77 मीटर लंबा है और इसका वजन 1,490 टन है। इसमें आधुनिक सेंसर लगे हैं, जो पानी के अंदर चौकसी रखेंगे। यह भारत का पहला ऐसा युद्धपोत है, जिसमें डीजल इंजन और वाटरजेट का इस्तेमाल किया गया है। इस युद्धपोत में इस्तेमाल 80% से ज्यादा सामान भारत में ही बना है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, एल एंड टी और महिंद्रा डिफेंस जैसी भारतीय कंपनियों के उपकरण इसमें लगे हैं।
2028 तक दिखेगी नई ताकत
जीआरएसई और कोचीन शिपयार्ड, दोनों मिलकर ऐसे 8-8 युद्धपोत बना रहे हैं। इसके लिए अप्रैल 2019 में 6,311 करोड़ रुपये के दो समझौते हुए थे। सभी युद्धपोतों को 2028 तक नौसेना को सौंप दिया जाएगा। इस युद्धपोत का नाम महाराष्ट्र के वसई में स्थित अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है। यह भारत की समुद्री विरासत को दर्शाता है। एक नौसेना प्रवक्ता ने कहा कि ‘अर्नाला’ के शामिल होने से भारत की नौसेना की ताकत बढ़ेगी। इससे हमारी समुद्री सीमा सुरक्षित रहेगी और भारत हिंद महासागर में एक मजबूत शक्ति बनेगा। ‘अर्नाला’ पनडुब्बियों को ढूंढ़ने, बचाव करने और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों को करने में सक्षम है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ का बेहतरीन उदाहरण
यह युद्धपोत ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का एक अच्छा उदाहरण है। इसे बनाने में 55 से ज्यादा छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों (एमएसएमई) ने योगदान दिया है। इससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने में भी सहायता मिल रही है। अर्नाला किला 1737 में मराठों ने चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में बनवाया था। यह किला वैतरणा नदी के मुहाने पर स्थित था और उत्तरी कोंकण तट की रक्षा करता था। भारतीय नौसेना के अनुसार, ‘किले की तरह, यह जहाज भी समुद्र में खतरों से रक्षा करने के लिए बनाया गया है। इसकी मजबूत बनावट और आधुनिक क्षमताएं इसे समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने और भारत के पानी को खतरों से बचाने में सक्षम बनाती हैं।’
दुश्मनों का हौसला तोड़ सकते हैं
‘अर्नाला’ के प्रतीक चिन्ह में एक शंख है। यह शंख मुश्किल परिस्थितियों में भी मजबूती से डटे रहने और दुश्मनों पर नजर रखने का प्रतीक है। नौसेना के मुताबिक, ‘शंख अपनी मजबूत संरचना और सटीक नोक के लिए जाना जाता है, जो चुनौतीपूर्ण वातावरण में लचीलापन, सतर्कता, अस्तित्व और प्रभुत्व का प्रतीक है। यह जहाज समुद्र की लगातार ताकतों का सामना करने और सटीक आयुध के साथ पनडुब्बी-रोधी अभियानों को त्रुटिहीन रूप से पूरा करने के लिए बनाया गया है।’
जहाज के प्रतीक चिन्ह के नीचे एक रिबन पर ‘अर्णवे शौर्यम ्’ लिखा है, जिसका अर्थ है ‘सागर में वीरता’। यह वाक्य जहाज के साहस और शक्ति को प्रदर्शित करता है। यह जहाज के कर्मचारियों को हमेशा प्रेरित करता है कि वे समुद्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहें।































