ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में वंदे मातरम् के इतिहास और उसकी राष्ट्रीय भूमिका को याद किया। उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम ् 50 साल का हुआ था, तब देश अंग्रेजों की गुलामी में था। और जब यह 100 साल का हुआ, तब देश आपातकाल की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था और संविधान को दबाया गया था।
मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा, साहस और संकल्प दिया और उस दौर में ब्रिटिश शासन के दमन का जवाब बना। उन्होंने बताया कि 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेज ‘गॉड सेव द क्वीन’ को हर घर तक पहुंचाना चाहते थे, लेकिन बंकिमचंद्र ने वंदे मातरम ्के माध्यम से इसका शक्तिशाली उत्तर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् वैदिक परंपरा से प्रेरित है। भूमि को माता और स्वयं को धरती की संतान मानने का भाव। जो भारतीय सांस्कृतिक सोच का आधार है। उन्होंने कहा कि बंगाल की बौद्धिक शक्ति पूरे राष्ट्र का मार्गदर्शन करती थी, इसी कारण ब्रिटिश शासन ने सबसे पहले बंगाल को विभाजित करने की कोशिश की।
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आनंदमठ की पृष्ठभूमि मुसलमानों को उत्तेजित कर सकती है। मोदी के अनुसार, इसके बाद कांग्रेस ने 26 अक्टूबर को वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा करने की घोषणा की और “समाज में सौहार्द” के नाम पर गीत के हिस्सों को अलग किया। उन्होंने कहा कि इतिहास बताता है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मुस्लिम लीग के आगे झुकने का काम किया।
मोदी ने लोकसभा में कहा, ‘वंदे मातरम, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था। अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था। यह आजादी की लड़ाई थी, मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी। मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी।’





























