ब्लिट्ज ब्यूरो
ग्वालियर। शहर में बन रहे नए नगर द्वार का नाम सिखों के छठे गुरु हरगोविंद साहिब के नाम पर ‘दाता बंदी छोड़ द्वार’ रखा जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसकी घोषणा की। यह द्वार पुरानी छावनी क्षेत्र में मुरैना रोड पर स्थित है।
सिख समुदाय का समृद्ध इतिहास
ग्वालियर और चंबल संभाग में सिख समुदाय का समृद्ध इतिहास रहा है और बड़ी संख्या में सिख परिवार यहां रहते हैं। गुरु हरगोविंद साहिब को मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर किले में कैद रखा था। उन्होंने 52 राजाओं को भी रिहा करवाया था, जिससे उन्हें ‘दाता बंदी छोड़’ कहा जाने लगा। इसी कारण इस द्वार का नाम उनके सम्मान में रखा जा रहा है।
जहांगीर ने बना लिया था बंदी
ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में सिख समुदाय की गहरी जड़ें हैं। यहां सदियों से सिख परिवार रहते आ रहे हैं। इस क्षेत्र का सिख इतिहास गुरु हरगोविंद साहिब से जुड़ा है। उन्हें मुगल बादशाह जहांगीर ने ग्वालियर के किले में बंदी बना लिया था। उनके साथ 52 हिंदू राजा भी कैद थे। जब जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने का फैसला किया, तो उन्होंने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि वे तभी रिहा होंगे जब उनके साथ 52 राजा भी रिहा होंगे। इसके लिए एक खास चोला तैयार किया गया, जिसमें 52 कलगियां लगी थीं। हर राजा ने एक कलगी पकड़ी और गुरु जी के साथ किले से बाहर आए।
देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
देश-विदेश से, खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से, सिख श्रद्धालु इस गुरुद्वारे के दर्शन के लिए आते हैं। ज़्यादातर श्रद्धालु मुरैना वाले रास्ते से ग्वालियर पहुंचते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस द्वार के नामकरण की घोषणा की है। यह नाम गुरु हरगोविंद साहिब के त्याग और बलिदान की याद दिलाता है।