विनोद शील
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नए डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों को अकाउंट बनाने के लिए अपने माता-पिता की अनुमति लेने का प्रावधान अनिवार्य किया जा रहा है। इसके लिए वर्चुअल टोकन सिस्टम लागू किया जाएगा।
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (एमईआईटीवाई) ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन ड्रॉफ्ट रूल्स को पब्लिक कंसल्टेंशन के लिए जारी कर दिया है। इस ड्रॉफ्ट रूल में टेक्नोलॉजी से बच्चों को बचाने और डिजिटल स्पेस के नुकसान का जिक्र किया गया है।
मंत्री ने साफ किया है कि यह अंतिम फैसला नहीं है। इसमें लागू करने के बाद जरूरत पड़ने पर और सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा डेटा प्रोटेक्शन के जरिए बच्चों को टेक्नोलॉजी की पावर से रूबरू कराया जाएगा। साथ ही उसके खतरों से बचाया जाएगा। सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) रूल्स 2025 के ड्रॉफ्ट को 3 जनवरी को जारी किया था जिसे पब्लिक कंसल्टेशन के लिए 18 फरवरी 2025 तक रखा जाएगा।
क्या होंगे पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन नियम
नए ड्रॉफ्ट रूल में नाबालिग बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सकती है। मतलब बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए अपने माता-पिता से परमिशन लेनी होगी। इसके लिए वर्चुअल टोकन का इस्तेमाल किया जाएगा जिसके जरिए बच्चे माता-पिता से वर्चुअल तरीके से सोशल मीडिया इस्तेमाल करने की अनुमति हासिल कर पाएंगे। यह एक तरह का वेरिफिकेशन प्रॉसेस होगा जिसके जरिए बच्चों की उम्र को वेरिफाई किया जाएगा।
बेहद आसान होगा वर्चुअल टोकन सिस्टम
नए नियम के मुताबिक 18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए कई सारी शर्तों को पूरा करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल डेटा का इस्तेमाल करके वर्चुअल टोकन जेनरेट किया जा सकेगा। सरकार का कहना है कि वर्चुअल टोकन की प्रक्रिया को बेहद आसान बनाया जाएगा ताकि अनुमति लेने में कोई दिक्कत न हो। आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव के अनुसार टोकन सिस्टम को कई मामलों; जैसे आधार बेस्ड लेनदेन में इस्तेमाल किया जा सकता है।
अस्थायी होगा टोकन सिस्टम
यह टोकन सिस्टम अस्थायी होगा जो एक बार के लेनदेन तक सीमित रहेगा। इसके बाद टोकन ऑटोमेटिकली खत्म हो जाएगा। इस मामले में कई एक्सपर्ट से सलाह ली जा रही है। मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में प्राइवेसी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।
क्या है डीपीडीपी नियम 2025 का मसौदा?
केंद्र सरकार ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) नियम, 2025 का मसौदा जारी किया है जो डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के प्रावधानों को लागू करेगा। हालांकि यह अधिनियम एक साल से ज़्यादा पहले पारित हो गया था। इसके लागू होने वाले नियम अभी तक विकास के अधीन हैं, और अब उन्हें सार्वजनिक परामर्श के लिए पेश किया जा रहा है।
मसौदा नियम 18 फरवरी, 2025 तक 45 दिनों के लिए सार्वजनिक टिप्पणी के लिए खुले हैं और नागरिक माईजीओवी वेबसाइट पर अपनी टिप्पणियां प्रस्तुत कर सकते हैं।
डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2023 को 3 अगस्त, 2023 को लोकसभा में पेश किया गया और 7 अगस्त, 2023 को निचले सदन में पारित किया गया। इसके बाद 9 अगस्त को इसे राज्यसभा में पेश किया गया और उसी दिन इसे पारित कर दिया गया। 11 अगस्त को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 बन गया। डीपीडीपी अधिनियम ‘डेटा फ़िड्यूशरीज़’ यानी कि ऐसी संस्थाएं जो ‘डेटा प्रिंसिपल’ या उपयोगकर्ताओं से व्यक्तिगत डेटा एकत्र करती हैं – के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है ताकि उस डेटा को दुरुपयोग से बचाया जा सके और डेटा सुरक्षा सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाली फर्मों को दंडित किया जा सके। इन नियमों में डेटा संरक्षण बोर्ड (डीपीबी) की स्थापना के लिए रूपरेखा तैयार की गई है जो डीपीडीपी अधिनियम 2023 के अनुसार डिजिटल मोड में काम करेगा।
नियमों में बच्चों के डेटा के प्रसंस्करण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को स्पष्ट किया गया है, जहां संस्थाओं को यह सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी और संगठनात्मक उपाय अपनाने की आवश्यकता होती है कि बच्चे के व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के लिए माता-पिता की सत्यापन योग्य सहमति प्राप्त की जाए। नियमों में भारत के बाहर व्यक्तिगत डेटा के हस्तांतरण का प्रावधान है लेकिन केवल कुछ मामलों में ही जिन्हें सरकार द्वारा समय-समय पर अनुमोदित किया गया हो। मसौदा नियमों में एक समिति की परिकल्पना की गई है जो निर्दिष्ट व्यक्तिगत डेटा के संबंध में महत्वपूर्ण डेटा प्रत्ययी द्वारा ऐसे हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश कर सकती है।





























