ब्लिट्ज ब्यूरो
कानपुर। कानपुर के गजनेर समेत आसपास के 51 गांवों में अब नवजात शिशुओं की मौत नहीं होगी। उनकी जान बचाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसकी पहल जीएसवीएम मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. यशवंत राव ने की है। उन्होंने नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए एक खास प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसे अमेरिका की संस्था अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स ने दुनिया भर के 350 प्रोजेक्ट्स में से चुना है। डॉ. राव को इसके लिए 7500 अमेरिकी डॉलर (करीब छह लाख रुपये) की आर्थिक मदद भी मिली है।
लंबे समय से समस्या
डॉक्टरों ने पाया कि गजनेर क्षेत्र में लगातार नवजात बच्चों की मौतें हो रही थीं। इसकी वजह समय पर इलाज न मिल पाना और जागरूकता की कमी थी। इसे रोकने के लिए डॉ. राव ने अमेरिका के ‘आई कैच’ कार्यक्रम के तहत अपना प्रोजेक्ट भेजा और उसे मंजूरी भी मिल गई।
गांवों में अभियान
अब इस प्रोजेक्ट के तहत गजनेर क्षेत्र के 51 गांवों में काम शुरू हो गया है। हाल ही में बच्चे को जन्म देने वाली सभी माताओं से संपर्क किया जा रहा है। उनके मोबाइल नंबर लिए जा रहे हैं, ताकि समय-समय पर उन्हें मैसेज और कॉल के जरिए जरूरी जानकारी दी जा सके। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला बताते हैं कि इस अभियान में आशा बहुओं और कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसरों की टीमें तैयार की जा रही हैं। ये टीमें गांव-गांव जाकर माताओं को प्रशिक्षित करेंगी। माताओं को यह सिखाया जाएगा कि बच्चे की तबीयत थोड़ी भी खराब लगे तो तुरंत डॉक्टर को सूचना दें। गंभीर स्थिति में बच्चे को सीधे मेडिकल कालेज लाया जाएगा।
हर महीने इतने जन्म
डॉ. यशवंत राव के अनुसार, गजनेर क्षेत्र से हर महीने करीब 200 बच्चे जन्म लेते हैं। इन सभी बच्चों की माताओं से मोबाइल के जरिए संपर्क किया जाएगा। उन्हें नवजात की देखभाल से जुड़े आसान सवाल भेजे जाएंगे, जिनका जवाब ‘हां’ या ‘न’ में देना होगा। इससे डॉक्टरों को पता चल जाएगा कि किस बच्चे को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ. राव का कहना है कि अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे पूरे उत्तर प्रदेश में लागू किया जाएगा। अभी राज्य में औसतन 30% नवजात बच्चों की मौतें हर साल होती हैं। इस मॉडल से इस दर को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।





























