ब्लिट्ज ब्यूरो
मॉस्को। व्यापार को लेकर अमेरिका के प्रतिबंधों पर भारत और रूस की दोस्ती भारी पड़ी है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद नई दिल्ली और मॉस्को के बीच अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) का इस्तेमाल करते हुए व्यापार दोगुना हो गया है। दरअसल, भारत ने मॉस्को के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने की योजना के तहत निर्यात की मात्रा बढ़ाई है। भारत और रूस के बीच इस व्यापार बढ़ोतरी से भारत के दोस्त ईरान को भी फायदा हुआ है।
आईएनएसटीसी ईरान के माध्यम से पश्चिमी भारत को रूस से जोड़ता है। माल परिवहन की मात्रा और भोगोलिक कवरेज के मामले में गलियारे का पूर्वी मार्ग इसकी तीनों शाखाओं में सबसे सुविधाजनक माना जाता है। रूसी रेलवे लॉजिटिक्स के मल्टीमॉडल सेवा के उपमहानिदेशक दिमित्री क्रुकोव ने बताया कि रूस से तुर्कमेनिस्तान और कजाकिस्तान के क्षेत्र से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह तक रेलवे डिलीवरी में तेजी लाने से आईएनएसटीसी की पूर्वी शाखा में डिलीवरी के समय में काफी बचत होती है।
समय की बचत
क्रुकोव ने बताया, आज मॉस्को क्षेत्र से बंदर अब्बास तक ट्रेन पहुंचने में लगभग 16 दिन और रूस के चेल्याबिंस्क क्षेत्र से 11 दिन लगते हैं, जो दो-तीन साल पहले की तुलना में तीन गुना तेज है। बीते साल आईएनएसटीसी के पूर्वी रास्ते पर सप्लाई की लागत में 56 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई, जबकि इस मार्ग पर परिवहन की मात्रा में 1.7 गुना वृद्धि हुई। आईएनएसटीसी के पूर्वी रास्ते से रूस को भारत जिन चीजों का निर्यात करता है, उनमें निर्माण सामग्री, कपड़े और जूते, चावल, प्लास्टिक, रोल्ड आयरन, कन्फेक्शनरी, मसाले और खाद्य सामग्री शामिल हैं। वहीं रूस कागज के उत्पाद, लकड़ी, हाईजीन उत्पाद, फर्नीचर, छत सामग्री, खाद्य और अन्य प्रकार के सामान भेजता है।
रिकॉर्ड 66 अरब डॉलर का व्यापार
दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में रिकॉर्ड 66 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले पांच वर्षों में पांच गुना वृद्धि दर्शाता है। रूस और भारत ने 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य रखा है। दोनों के बीच व्यापार घाटा लगभग 25.11 अरब डॉलर था। इस बीच क्रुकोव ने रूस और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने के लिए आईएनएसटीसी का सहारा लेने की बात कही है।