संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। आरबीआई ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और छोटी राशि के कर्ज देने वाली माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए जोखिम भारांश कम कर दिया है। इस कदम से इन संस्थानों के पास अधिक धन उपलब्ध होगा और वे पहले से अधिक कर्ज दे सकेंगे। कम जोखिम भारांश का मतलब है कि बैंकों को उपभोक्ता कर्ज के लिए सुरक्षा के रूप में कम धनराशि अलग रखनी होगी, जिससे उनकी उधार देने की क्षमता में वृद्धि होगी।
आरबीआई ने नवंबर, 2023 में जोखिम भारांश को 125 फीसदी तक बढ़ाकर ऋण देने के मानदंडों को कड़ा कर दिया था। उसके बाद एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज देने की रफ्तार धीमी हो गई है। आरबीआई ने एक सर्कुलर में कहा, समीक्षा के बाद ऐसे कर्ज पर लागू जोखिम भार को कम करने का निर्णय लिया गया है।
आरबीआई ने कहा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और स्थानीय क्षेत्र बैंकों (एलएबी) की ओर से दिए गए माइक्रोफाइनेंस कर्ज पर भी 100 फीसदी का जोखिम भारांश लगेगा। इस बारे में इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सह समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) अनिल गुप्ता ने कहा, इस क्षेत्र में मौजूदा प्रतिकूल हालात को देखते हुए यह स्वागतयोग्य कदम है। इससे संबंधित कंपनियों को कुछ राहत मिलेगी और कर्ज प्रवाह बढ़ेगा।