लंदन से दीपक द्विवेदी
नई दिल्ली। प्रसिद्ध उद्योगपति, हिंदुजा समूह के चेयरमैन और भारतीय मूल के अरबपति गोपीचंद पी. हिंदुजा का 85 वर्ष की आयु में लंदन के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। हिंदुजा समूह का तेल, बैंकिंग और रियल एस्टेट में कारोबार है।
मीडिया रिपोर्ट में पारिवारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके परिवार में पत्नी सुनीता, पुत्र संजय और धीरज और पुत्री रीता हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उद्योग जगत के हस्ताक्षर माने जाने वाले लॉर्ड स्वराज पॉल का भी लंदन में निधन हुआ था।
गोपीचंद के भाई का 2023 में हुआ निधन
गोपीचंद हिंदुजा, जिन्हें ‘जीपी’ उपनाम से जाना जाता था, अपने बड़े भाई श्रीचंद के साथ पारिवारिक व्यवसाय के सह-अध्यक्ष थे, जिनका 2023 में निधन हो गया। 1969 दोनों भाई 1970 के दशक में भारत से लंदन चले गए, जहां हिंदुजा समूह का निर्माण जारी रखा।
कारोबार 38 देशों में
हिंदुजा समूह का कारोबार 38 देशों में फैला है। समूह अनेक क्षेत्रों में कारोबार करता है जिनमें ऑटोमोटिव, बैंकिंग और वित्त, आईटी, स्वास्थ्य सेवा, रियल एस्टेट, बिजली, और मीडिया एवं मनोरंजन शामिल हैं। परिवार का साम्राज्य कई बड़े अधिग्रहणों के जरिए फैला, जिनमें 1987 में अशोक लीलैंड समूह का अधिग्रहण भी शामिल है, जिसमें बंद हो चुकी ब्रिटिश ऑटोमोटिव कंपनी ब्रिटिश लीलैंड के कुछ हिस्से शामिल हैं।
गोपीचंद का अहम योगदान
आजादी के पहले अपना कारोबारी सफर शुरू करने वाले हिंदुजा परिवार में जन्मे गोपीचंद हिंदुजा 1959 में मुंबई में अपने पारिवारिक उद्यम में शामिल हुए। बीते कई दशकों में उन्होंने हिंदुजा समूह को एक पारंपरिक व्यापारिक संचालन से बैंकिंग, वित्त, ऊर्जा, मोटर वाहन, मीडिया और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में एक वैश्विक औद्योगिक महाशक्ति बनाने में मदद की। उनके नेतृत्व में समूह ने अपने कुछ सबसे महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए।
इ नमें 1984 में गल्फ ऑयल और तीन साल बाद अशोक लीलैंड का अधिग्रहण शामिल है। अशोक लीलैंड भारत में प्रवासी भारतीयों की ओर से किए गए पहले बड़े निवेशों में से एक था। समूह की वेबसाइट के अनुसार, मुंबई के जय हिंद कॉलेज से स्नातक ‘जीपी’ को व्यवसाय में उनके योगदान के लिए वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट ऑफ लॉ और लंदन के रिचमंड कॉलेज से मानद डॉक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
परिवार के पास प्रभावशाली रियल एस्टेट पोर्टफोलियो भी है। उनकी सबसे प्रसिद्ध संपत्ति व्हाइटहॉल में ऐतिहासिक ओल्ड वॉर ऑफिस बिल्डिंग है। इसे हाल ही में रैफल्स लंदन होटल में तब्दील कर दिया गया है।
– हिंदुजा समूह के चेयरमैन गोपीचंद पी. हिंदुजा का निधन
– बैंकिंग से लेकर तेल तक फैला कारोबार
हिंदुजा ग्रुप की स्थापना सिंध के शिकारपुर शहर के रहने वाले युवा उद्यमी परमानंद दीपचंद हिंदुजा ने 1914 में की थी। 1919 में कंपनी ने ईरान में अपना ऑफिस खोला। इसके बाद अगले 60 साल तक ईरान ही इस कंपनी का हेडक्वार्टर रहा लेकिन 1979 में इस्लामिक क्रांति के कारण ईरान के शाह का पतन हो गया। इस उथलपुथल के बीच हिंदुजा ग्रुप ने अपना हेडक्वार्टर ईरान से बाहर ले जाने का फैसला किया। ग्रुप का अगला ठिकाना था ब्रिटेन की राजधानी लंदन। इस ग्रुप की शुरुआत मर्चेंट बैंकिंग और ट्रेड से हुई थी। आज हिंदुजा ग्रुप का कारोबार अनेक देशों में फैला है और इसमें 150,000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। भारत में ग्रुप की छह लिस्टेड कंपनियां हैं। इनमें ऑटो कंपनी अशोक लीलैंड्स व इंडसइंड बैंक शामिल हैं।
बेटों ने फैलाया बिजनेस
साल 1971 में परमानंद दीपचंद के निधन के बाद उनके चार बेटों ने हिंदुजा ग्रुप के कारोबार को पूरी दुनिया में फैलाया। अशोक लीलैंड भारत में कमर्शियल वीकल बनाने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। कंपनी की दुनियाभर में करीब 10 प्रॉडक्शन यूनिट्स हैं। इस कंपनी ने 1997 में भारत की पहली सीएनजी बस उतारी थी। 1994 में हिंदुजा ग्रुप ने भारत के बैंकिंग सेक्टर में एंट्री मारी। साल 2000 में हिंदुजा ग्रुप ने हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस की स्थापना की। यह ग्रुप की बीपीओ कंपनी है। हिंदुजा ग्रुप ने साल 1984 में जाने माने ब्रांड गल्फ को भी खरीदा था और बाद में इसका नाम गल्फ ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड कर दिया था। इसे ग्रुप का सबसे अहम अधिग्रहण माना जाता है।
गोपीचंद हिंदुजा का निधन भारत और ब्रिटेन के सबसे प्रभावशाली व्यावसायिक परिवारों में से एक के लिए एक युग का अंत है।































