ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। लॉजिस्टिक लागत को सिंगल डिजिट में लाने में लाने के लिए लेन हाईवे की प्रणाली पुरानी होती जा रही है। इसलिए अब दुनिया के कई देशों की तरह भारत में भी तेज रफ्तार हाईस्पीड कॉरिडोर का निर्माण तेजी से किया जाएगा। अभी कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने 50,655 करोड़ रुपये की लागत से देश में 8 नए हाईस्पीड रोड कॉरिडोर बनाने के फैसले को मंजूरी दी है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन संतोष कुमार यादव का कहना है कि प्रतिवर्ष चार हजार किलोमीटर हाईस्पीड कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। यह सिलसिला अगले दस वर्षों तक चलता रहेगा। इससे भारत में दस वर्षों के भीतर हाईस्पीड कॉरिडोर का एक बड़ा नेटवर्क तैयार हो जाएगा। इस प्रणाली से कम समय में अधिक दूरी तय किया जाना संभव हो सकेगा।
एनएचएआई के चेयरमैन यादव का कहना है कि अब विकास की गति का लक्ष्य ‘विकसित भारत-2047’ के विजन के अनुसार है। लिहाजा अब नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (एनएचडीपी), सिंगल- डबल, फोर-सिक्स लेन के हाईवे और भारतमाला में हाईवे निर्माण का जमाना नहीं रहा। राजमार्गों पर औसत गति को बढ़ाने के लिए हाईस्पीड कॉरिडोर का जमाना आ गया है।
उन्होंने एक उदाहरण के तौर पर कहा कि भारत में आज एक ट्रक तीन सौ किलोमीटर की प्रतिदिन दूरी तय करता है। उनकी औसत गति 47 किलोमीटर प्रति घंटे होती है और लॉजिस्टिक लागत 14 प्रतिशत है। इसकी तुलना में दुनिया के कई देशों में एक ट्रक सात सौ किलोमीटर प्रतिदिन की यात्रा करते हैं। उनकी औसत गति 90 किलोमीटर प्रतिघंटे होती है और लॉजिस्टिक लागत नौ प्रतिशत आती है। ऐसी स्थिति में दक्षता कैसे आ सकती है। लेन हाईवे के निर्माण से नुकसान होता था। लिहाजा राजमार्गों पर गति बढ़ाने और लागत में दक्षता लाने के लिए हाईस्पीड कॉरिडोर बनाने का रास्ता अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचागत विकास में सबसे अधिक हिस्सा राजमार्गों का है। इस पर एक लाख 74 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। चूंकि अकेले हाईवे से 50 प्रतिशत यात्री यातायात और 70 प्रतिशत माल ढुलाई के वाहनों का आवागमन होता है, इसलिए हाईस्पीड कॉरिडोर निर्माण करके दक्षता को हासिल किया जा सकता है।
कहां-कहां बनेंगे 8 कॉरिडोर
6-लेन आगरा-ग्वालियर राष्ट्रीय हाईस्पीड कॉरिडोर
4-लेन खड़गपुर – मोरग्राम नेशनल हाईस्पीड कॉरिडोर
6-लेन थराद – दीसा – मेहसाणा – अहमदाबाद राष्ट्रीय हाईस्पीड कॉरिडोर
4-लेन अयोध्या रिंग रोड
रायपुर-रांची नेशनल हाईस्पीड कॉरिडोर के बीच पत्थलगांव और गुमला 4-लेन का सेक्शन
6-लेन कानपुर रिंग रोड
4-लेन उत्तरी गुवाहाटी बाईपास और मौजूदा गुवाहाटी बाईपास का चौड़ीकरण/सुधार
8-लेन एलिवेटेड नासिक फाटा-खेड़ कॉरिडोर, पुणे के पास
इससे आवागमन में समय और ईंन्धन; दोनों की बचत होगी। माल ढुलाई की लागत को सिंगल डिजिट में लाया जा सकता है। इसीलिए हाईस्पीड कॉरिडोर के निर्माण का सिलसिला तेज कर दिया गया है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद, भारत के पास दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। 31 दिसंबर 2022 तक भारत में कुल सड़क नेटवर्क 63.32 लाख किमी था। कुल सड़क नेटवर्क में से राष्ट्रीय राजमार्ग 1,44,955 किमी था और बाकी राज्य सड़कें, जिला सड़कें और गांव की सड़कें हैं।
8 नए राष्ट्रीय हाईस्पीड रोड कॉरिडोर के फायदे
आगरा और ग्वालियर के बीच यात्रा का समय 50 प्रतिशत कम हो जाएगा।
खड़गपुर-मोरेग्राम कॉरिडोर पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्व की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए होगा फायदेमंद।
कानपुर रिंग रोड द्वारा कानपुर के आसपास राजमार्ग नेटवर्क को भीड़भाड़ से मुक्त किया जाएगा।
रायपुर-रांची कॉरिडोर के पूरा होने से झारखंड और छत्तीसगढ़ का विकास बढ़ेगा।
थराद और अहमदाबाद के बीच नया गलियारा गुजरात में हाई स्पीड रोड नेटवर्क को पूरा करने के लिए है जो निर्बाध बंदरगाह कनेक्टिविटी और कम रसद लागत में मदद करेगा।