ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। पैसों की कमी के चलते देश के होनहार छात्रों की पढ़ाई अब रुकने नहीं पाएगी। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए अब 10 लाख रुपये तक का ऋण बगैर गारंटी व गिरवी के मिलेगा। इसका लाभ देश के शीर्ष 850 उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले 22 लाख से अधिक छात्र ले सकेंगे।
वहीं आठ लाख तक की सालाना आय वाले परिवारों के एक लाख छात्रों के लिए सस्ते ऋण की भी व्यवस्था की गई है। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख के ऋण पर तीन प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए मदद देने वाली पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को नया विस्तार दिया गया है। सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि उच्च शिक्षा की राह में अब पैसे की कमी आड़े नहीं आएगी। छात्रों को बैंक आसानी से ऋण मुहैया कराएंगे। इसकी अदायगी भी आसान तरीके से की जाएगी। योजना का उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना भी है। इसका लाभ उन्हीं संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलेगा, जो नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) की ओवरआल श्रेणी में शीर्ष सौ संस्थानों में शामिल होंगे। या फिर केंद्र व राज्य सरकारों की फंडिंग से चलने वाले ऐसे उच्च शिक्षण संस्थान होंगे, जो एनआईआरएफ रैंकिंग में शीर्ष 101 से 200 में होंगे। मौजूदा समय में इस रैंकिंग फ्रेमवर्क में करीब 850 उच्च शिक्षण संस्थान हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि योजना पर अगले सात वर्षों में यानी 2024-25 से 2030 31 के बीच 36 सौ करोड़ खर्च होंगे। साथ ही इन सात वर्षों में सात लाख नए छात्रों को ऋण में सब्सिडी का भी लाभ मिलेगा। पैसों की कमी के चलते या फिर ऋण के लिए गारंटी जैसे नियमों के चलते बड़ी संख्या में छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ऋण नहीं मिल पाता था।
केंद्र ने यह पहल ऐसे समय की है, जब उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक 50 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इस स्कीम के तहत साढ़े सात लाख तक के ऋण पर 75 प्रतिशत तक की क्रेडिट गांरटी शिक्षा मंत्रालय की ओर से दी जाएगी। अभी तक उच्च शिक्षा के लिए सात लाख से अधिक के ऋण पर गारंटी और गिरवी, दोनों देनी होती है।