ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल पेमेंट्स के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। ये अगले साल 1 अप्रैल से लागू होंगे। अब एसएमएस, ओटीपी के अलावा पासवर्ड फिंगरप्रिंट और बायोमेट्रिक्स जैसे कई नए तरीकों से लेन-देन की पहचान (टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन) हो सकेगी। इससे ऑनलाइन ट्रांजैक्शन और भी सुरक्षित और सुविधाजनक बनेंगे। इन नए नियमों का मकसद धोखाधड़ी कम करना और ग्राहकों को ज्यादा सुरक्षा देना है।
आरबीआई ने 25 सितंबर को ऐलान किया कि यदि उपरोक्त निर्देशों का पालन किए बिना किए गए लेनदेन से कोई नुकसान होता है, तो ग्राहक को हुए नुकसान की पूरी भरपाई करना होगा।
क्या हो सकते हैं तरीके? : आरबीआई ने बताया कि पहचान के तरीके ‘कुछ ऐसा जो यूजर के पास है’, ‘कुछ ऐसा जो यूजर जानता है’ या ‘कुछ ऐसा जो यूजर है’ में से हो सकते हैं। इनमें पासवर्ड, एसएमएस आधारित ओटीपी पासफ्रेज पिन, कार्ड हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर टोकन, फिंगरप्रिंट या बायोमेट्रिक्स का कोई भी दूसरा रूप (डिवाइस – नेटिव या आधार आधारित) शामिल हो सकते हैं। आरबीआई के निर्देश में यह साफ किया गया है कि टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन अनिवार्य रहेगा और एसएमएस, ओटीपी का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।