ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता पर बड़ी टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, कोर्ट कौनसी जादुई छड़ी घुमा सकता है? मुझे पता है कि यह दिल्ली-एनसीआर के लिए खतरनाक स्थिति है। हम सब समस्या जानते हैं। मुद्दा यह है कि हल क्या है? हमें कारणों की पहचान करनी होगी और समाधान तो सिर्फ विशेषज्ञ ही दे सकते हैं। हमें उम्मीद एवं अपेक्षा है कि दीर्घकालिक समाधान खोजे जाएंगे।
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की अपील पर गौर कर रही थी। पीठ ने कहा, इस पर नियमित रूप से निगरानी की जरूरत है।
वायु प्रदूषण मामले में न्यायमित्र की भूमिका निभा रहीं अपराजिता ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में चिंताजनक स्थिति है। यह स्वास्थ्य आपातकाल है। इस पर सीजेआई ने कहा, मुझे बताइए कि हम क्या निर्देश दे सकते हैं? हम कुछ दिशा-निर्देश जारी करें और तुरंत साफ हवा में सांस लेने लगें। हमें यह भी देखना होगा कि प्रत्येक क्षेत्र में क्या समाधान हो सकते हैं। सीजेआई ने कहा, यह भी देखना होगा कि सरकार ने क्या समिति बनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने 19 नवंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से कहा था कि वह दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को नवंबर-दिसंबर में निर्धारित खुले में होने वाले खेल आयोजनों को जहरीली हवा को देखते हुए स्थगित करने का निर्देश देने पर विचार करे।
मुद्दा दिवाली के पहले आता है
न्यायमित्र अपराजिता ने बताया, सौएक्यूएम लगातार निगरानी रख रहा है और जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। इस पर पीठ ने कहा, यह मुद्दा दिवाली के समय आता है, लेकिन तापमान बढ़ते ही चर्चाएं थम जाती हैं। एक रस्म की तरह मामला दिवाली से पहले सूचीबद्ध हो जाता है, सर्दियों के बाद गायब हो जाता है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
मौसमी मुद्दा मानकर नहीं छोड़ेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समस्या के दीर्घकालिक समाधान के लिए नियमित निगरानी, वैज्ञानिक रिपोटों का विश्लेषण और जिम्मेदार एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी।































