ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित हिमाचल भवन के बाद अब बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश जारी हुआ है। पटियाला हाउस कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश पर अमल न होने के बाद यह फैसला सुनाया है। बता दें कि बीकानेर हाउस का मालिकाना हक राजस्थान नगर पालिका नोखा के पास है। राजस्थान की नोखा नगर पालिका और एनवायरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच विवाद के बाद मध्यस्थता केन्द्र में एक समझौता हुआ था।
दरअसल, पटियाला हाउस कोर्ट ने एनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स के बीच विवाद के बाद राजस्थान नगर पालिका नोखा को 50 लाख 31 हजार रुपये भुगतान करने का आदेश दिया था। अदालत ने ये आदेश 21 जनवरी 2020 को जारी किया था। इसके बावजूद नोखा नगर पालिका ने कंपनी को भुगतान नहीं किया। इसके बाद अदालत ने अपने नए आदेश में कहा कि नोखा नगर पालिका अदालत के अगले आदेश तक बीकानेर हाउस को लेकर कोई फैसला न ले। अब इस मामले में अगली सुनवाई के दिन बीकानेर हाउस की बिक्री से जुड़ी शर्तों और बाकी प्रक्रियाओं पर फैसला लिया जाएगा।
संपत्ति को बेच नहीं सकते
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि नोखा नगर पालिका संपत्ति को न बेच सकती है और न ही उपहार या अन्य तौर पर इसे किसी और को हस्तांतरित कर सकती है। न्यायाधीश ने नोखा नगर पालिका के प्रतिनिधि को अगली सुनवाई में अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि अगली तारीख पर नोखा नगर पालिका का प्रतिनिधि अपना पक्ष रखने का अधिकारी भी होगा। वह अपने तर्कों को दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ पेश कर सकता है। अदालत ने कहा कि हालांकि, यह आदेश पुख्ता तथ्यों के आधार पर जारी रहेगा।
आजादी के समय बन गया खास अड्डा
बीकानेर हाउस आजादी के समय शाही परिवारों का खास अड्डा बन गया था। राजपरिवारों के भारत में विलय नीति को लेकर यहां कई महत्वपूर्ण बैठकें हुई। राजस्थान के साथ-साथ अन्य राजघराने भी यहां चर्चा के लिए पहुंचते थे और विलय नीति पर वार्ता होती थी। बाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे हेरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दिया। 18 नवंबर 2015 को बीकानेर हाउस को जनता के लिए खोल दिया गया।
ब्रिटिश और राजपूताना शैली के साथ बना
बीकानेर हाउस का इतिहास समृद्ध है। इसका निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह के शासनकाल में हुआ था। तब इसके निर्माण में ब्रिटिश शैली के साथ-साथ राजपूताना शैली का भी इस्तेमाल किया गया। छत्र शैली के गुंबद बनाए गए और निजी कमरों के साथ अतिथि कक्ष और महिलाओं के लिए कमरे बनाए गए। 18 फरवरी, 1929 को बीकानेर हाउस को भव्य गृह प्रवेश के आयोजन के साथ खोला गया।