ब्लिट्ज ब्यूरो
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) के अस्थायी कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ की अदालत ने कहा कि तीन दशकों से अधिक समय तक लगातार काम कर रहे कर्मचारियों को “अस्थायी” बनाए रखना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।
याचिकाकर्ता हरिराम व अन्य ने अपनी सेवाओं को नियमित करने की मांग को लेकर यह याचिका दायर की थी। अदालत ने पाया कि कर्मचारियों को पहले भी कई बार राहत मिल चुकी थी, लेकिन आदेश लागू नहीं हुए। कर्मचारियों को यह केस लड़ने के लिए नौ बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारियों को केवल “स्वीकृत पदों की कमी” का हवाला देकर नियमितीकरण से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के कई हालिया फैसलों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकारें बजट संतुलन के नाम पर कर्मचारियों का शोषण नहीं कर सकतीं। याचिकाकर्ताओं की सेवाएं छह सप्ताह के भीतर नियमित की जाएं। यदि तय समय में आदेश लागू नहीं किया गया तो कर्मचारियों को स्वतः नियमित मान लिया जाएगा और उन्हें वरिष्ठता व वेतन सहित सभी लाभ दिए जाएंगे।
इसके साथ ही अदालत ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे इस फैसले के आलोक में अपनी सेवा संबंधी नीतियों की समीक्षा करें ताकि भविष्य में कर्मचारियों को बार-बार अदालत के चक्कर न काटने पड़ें।