नीलोत्पल आचार्य
नई दिल्ली। अगर आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो बोतल बंद पानी ही पीते हैं तो यह खबर आपके लिए है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस पानी को हम साफ और स्वास्थ्य के लिए सही मानते हैं और समझते हैं कि इससे हमें कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन असल में ऐसा नहीं है।
ये पानी भी आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। दरअसल पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर और मिनरल वाटर को अब भारत के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा ‘हाई-रिस्क फूड’ की श्रेणी में रखा गया है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वाटर को ‘ हाई रिस्क खाद्य पदार्थ श्रेणी’ के रूप में शामिल किया है जिसके बाद अब इनका अनिवार्य निरीक्षण और थर्ड पार्टी ऑडिट किया जाएगा। एफएसएसएआई द्वारा जारी किए गए नए नियम के मुताबिक अब सभी पैकेज्ड और मिनिरल वाटर निर्माताओं को सालाना निरीक्षण का सामना करना पड़ेगा। किसी भी कंपनियों को लाइसेंस या पंजीकृत करने से पहले ये निरीक्षण किया जाएगा।
यह घोषणा केंद्र सरकार द्वारा पैकेज्ड और मिनरल वाटर उद्योग के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) से प्रमाणन प्राप्त करने की अनिवार्य शर्त को हटाने के बाद की गई है। ये फैसला पैकेज्ड पानी और मिनरल वाटर कंपनियों को बड़ा झटका माना जा रहा है।
क्या है हाई-रिस्क फूड
एफएसएसएआई के अनुसार, हाई-रिस्क फूड वे खाद्य उत्पाद होते हैं जो खराब होने की संभावना के कारण सख्त निगरानी और नियमित निरीक्षण की आवश्यकता रखते हैं। इन पर विशेष ध्यान इसलिए दिया जाता है ताकि उपभोक्ताओं तक सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद पहुंच सकें।
हाई-रिस्क फूड में शामिल अन्य उत्पाद
एफएसएसएआई के आदेश के मुताबिक पैकेज्ड के साथ ही हाई रिस्क वाले सभी खाद्य श्रेणियों के व्यवसायों को मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी खाद्य सुरक्षा एजेंसियों से सालाना ऑडिट कराना होगा। इस फैसले के पीछे सरकार का मकसद इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों में सुधार करना है, ताकि जो लोग इन चीजों का इस्तेमाल करते हैं उन्हें सुरक्षित चीज मिल सके और उनकी सेहत ठीक रहे।
क्या पानी असुरक्षित है
नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि पैकेज्ड पानी असुरक्षित है। ‘हाई-रिस्क’ का टैग यह सुनिश्चित करता है कि इन उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा की नियमित निगरानी होगी। इससे कंपनियों पर दबाव बनेगा कि वे अपने उत्पादों को उच्च मानकों पर बनाए रखें।