ब्लिट्ज ब्यूरो
लंदन। मशहूर एनआरआई उद्योगपति और परोपकारी लॉर्ड स्वराज पॉल का लंदन में 94 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने अपने परिवार के बीच आखिरी सांस ली। लॉर्ड स्वराज पॉल, जिन्होंने यूके में कपारो ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की नींव रखी, का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ था। 1966 में वह अपनी बेटी अंबिका के इलाज के लिए ब्रिटेन गए थे। अंबिका का बाद में ल्यूकेमिया से निधन हो गया था। इसके बाद उन्होंने कपारो ग्रुप की स्थापना की, जो स्टील, इंजीनियरिंग और प्रॉपर्टी जैसे क्षेत्रों में एक वैश्विक कंपनी बन गई।
लंदन चिड़ियाघर को बचाने में अहम भूमिका निभाई
लॉर्ड पॉल को 1996 में लाइफ पीयर बनाया गया था और उन्होंने हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सक्रिय भूमिका निभाई। वह व्यापार, शिक्षा और उद्यमिता से जुड़ी समितियों में शामिल रहे। भारत और ब्रिटेन के बीच रिश्तों को मजबूत करने में उनकी कोशिशें हमेशा सराहनीय रहीं। परोपकार के क्षेत्र में भी लॉर्ड पॉल का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कई अहम कदम उठाए।
खास तौर पर, जब लंदन चिड़ियाघर बंद होने के कगार पर था, तब उन्होंने इसे बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और बच्चों के लिए बनाए गए सेक्शन समेत कई पहलों का समर्थन किया।
ब्रिटेन के सबसे अमीर एशियाई
लोगों में से थे पॉल
लॉर्ड स्वराज पॉल ब्रिटेन के सबसे अमीर एशियाई लोगों में से एक थे और दशकों तक व्यवसाय, राजनीति और परोपकार के क्षेत्र में एक चमकता सितारा बने रहे। वह भारतीय मूल के ऐसे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 2008 में ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ के डिप्टी स्पीकर का पद संभाला और ब्रिटिश संसद में अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने 2000 से 2005 के बीच भारत-ब्रिटेन गोलमेज सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की और 1983 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनके निधन से न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरी दुनिया में उनके चाहने वालों को गहरा सदमा लगा है।
‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’में रहते थे शामिल
भारतीय व्यापार परिदृश्य में, लॉर्ड पॉल को 80 के दशक के आरंभ में एस्कॉर्ट्स ग्रुप और डीसीएम ग्रुप पर कब्जा करने के उनके आक्रामक प्रयासों के लिए भी याद किया जाता है, जिसके लिए कानूनी लड़ाई के बाद तत्कालीन सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी थी। वह वार्षिक ‘संडे टाइम्स रिच लिस्ट’ में नियमित रूप से शामिल रहते थे।
हाल के महीनों में अपने कमजोर स्वास्थ्य के बावजूद वह लगातार हाउस ऑफ लॉर्ड्स आते रहे। ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों के एक सक्रिय सदस्य के रूप में उनके निधन से एक ऐसी शून्यता उत्पन्न हो गई है, जिसे भरना मुश्किल होगा।
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