ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत व्यक्ति की स्वतंत्रता एक बहुमूल्य अधिकार है। अदालतों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न किया जाए। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को रद करते हुए यह टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में एक आरोपी की जमानत खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट के पास जमानत रद करने का कोई वैध कारण नहीं था। प्रथम दृष्टया भी कोई ऐसी सामग्री नहीं थी जिससे अपीलकर्ता के आचरण के बारे में पता चले।
पीठ ने कहा कि गवाहों को प्रभावित करने, उन्हें धमकाने या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने का कोई आरोप नहीं है। इस बात को दर्शाने वाली कोई भी सामग्री मौजूद नहीं है कि मुकदमे को टालने के लिए विलंबकारी रणनीति अपनाई गई है। हाईकोर्ट ने किसी भी ऐसे कृत्य का उल्लेख नहीं किया है जिससे यह राय बने कि अपीलकर्ता की ओर से जमानत की किसी शर्त का उल्लंघन किया गया है और इसलिए उसकी जमानत रद करना जरूरी है।