ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत सहित 15 देश ग्रीस द्वारा आयोजित इनियोकॉस-25 अभ्यास में शामिल हुए। इस कदम को भूमध्य सागर में पाक-तुर्की का मुकाबला करने के विशेष प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
संयुक्त अभ्यास के दौरान वायुसेना द्वारा सुखोई एसयू-30एमकेआई जेट और आईएल-78 मिड-एयर रिफ्यूलर्स और सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमानों का उपयोग किया गया।
भूमध्य सागर क्षेत्र में पाकिस्तान और तुर्की के प्रभाव का मुकाबला करने की यह एक गंभीर और सार्थक रणनीति मानी जा रही है। इस अभ्यास में वायुसेना की भागीदारी के रणनीतिक निहितार्थ हैं क्योंकि ग्रीस को तुर्की और पाकिस्तान के बीच घनिष्ठ संबंधों के लिए एक बड़े खतरे के रूप में देखा जाता है। तुर्की जहां पाकिस्तान को हथियार बेच रहा है, वहीं ग्रीस के भारत के साथ रणनीतिक संबंध भी मजबूत हो रहे हैं।
इसके अलावा, इनियोकॉस-25 अभ्यास में वायु सेना की भागीदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत हाल की भू-राजनीतिक स्थिति में एक मजबूत रक्षा शक्ति के रूप में उभरा है।
सुखोई विमान भूमध्य सागर क्षेत्र में ग्रीक एफ-16 और राफेल के साथ सैन्य अभ्यास कर रहा है। 11 अप्रैल तक चलने वाले इस अभ्यास में 15 देशों की वायु सेनाएं अपना प्रशिक्षण साझा करेंगी। भारत के अलावा अमेरिका, ग्रीस, फ्रांस, इजरायल, स्पेन, इटली, कतर, यूएई, पोलैंड, स्लोवेनिया और ऑस्टि्रया की वायु सेनाएं भी इसमें भाग ले रही हैं।
2023 में भूमध्य सागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए वायुसेना ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया। इस बार वायुसेना की टीम सुखोई लड़ाकू विमानों, आईएल-78 रिफ्यूलर और सी-17 ग्लोबमास्टर्स के साथ ग्रीस के एंड्राविडा एयरबेस पहुंची।
अभ्यास के दौरान, लड़ाकू विमान भूमध्य सागर क्षेत्र में वास्तविक समय में युद्ध अभ्यास कर रहे हैं । इसके अलावा वे दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों से निपटने और जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाने का भी अभ्यास करेंगे।
ग्रीस ने अपने बहुराष्ट्रीय इनियोकॉस-25 अभ्यास के लिए वायुसेना को आमंत्रित किया है। यह अभ्यास भारत की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा तथा मित्र देशों के साथ संयुक्त अभियानों में इसकी क्षमताओं को बढ़ाएगा। इस शक्ति प्रदर्शन से पाकिस्तान और तुर्की असहज हो सकते हैं।
इनियोकॉस-25 एक द्विवार्षिक आयोजन है जिसे सामरिक कौशल को बढ़ाने, अंतर-संचालन को बढ़ावा देने और भाग लेने वाली वायु सेनाओं के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत करने के लिए डिजाइन किया गया है। इस वर्ष के अभ्यास में पंद्रह देशों की वायु और सतही संपत्तियां शामिल हैं, जो आधुनिक वायु युद्ध चुनौतियों को दर्शाते हुए यथार्थवादी युद्ध परिदृश्यों का अनुकरण करती हैं।