ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वर्षों से गठिया का दर्द सहन रहे मरीजों के लिए एम्स सहित कई संस्थानों की ओर से मिलकर किए गए शोध ने राहत की उम्मीद जगाई है। विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में मौजूद एक खास प्रोटीन से ही गठिया का दर्द दूर किया जा सकेगा।
एम्स दिल्ली और लखनऊ स्थित सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने आईआईटी खड़गपुर सहित कई अन्य संस्थानों के साथ मिलकर शोध किया। शोध में विशेषज्ञों ने शरीर में मौजूद एक प्रोटीन स्क्लेरोस्टिन में छोटे-छोटे ऐसे दो अंश (पेप्टाइड) एसी-1 और एसी-3 की पहचान की। इसे इंजेक्शन के रूप में इस्तेमाल कर गठिया की बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
एम्स में चूहों पर हुए ट्रायल में पेप्टाइड एसी-1 ऑस्टियोपोरोसिस और एसी-3 ऑस्टियोआर्थराइटिस के इलाज में कारगर और सुरक्षित मिले। अब मरीजों पर इसके परीक्षण की तैयारी है। यह शोध बायोमेडिसिन और फार्माकोथेरेपी अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। एम्स के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने कहा, इस शोध से उम्मीद है कि यह इलाज वर्तमान में उपलब्ध दवाओं से ज्यादा असरदार और सुरक्षित होगा। सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट से सेवानिवृत्त विशेषज्ञ डॉ. नैबेद्य चटोपाध्याय ने बताया कि स्क्लेरोस्टिन हड्डियों की कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस होने का भी कारण बनता है, लेकिन ऑस्टियो आर्थराइटिस होने पर हड्डियों के असामान्य विकास को रोककर जोड़ों को जल्दी खराब होने से रोकता भी है। इससे स्क्लेरोस्टिन प्रोटीन पर शोध शुरू किया गया।