ब्लिट्ज ब्यूरो
अयोध्या। उत्तर प्रदेश की अाध्यात्मिक नगरी अयोध्या में दो विश्व रिकॉर्ड बने। भव्य दीपोत्सव समारोह के दौरान एक साथ 26,17,215 दीप प्रज्वलित किए गए और 2,128 लोगों ने एक साथ सरयू आरती की। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नौवें भव्य दीपोत्सव का उद्घाटन किया।
पहला गिनीज पुरस्कार उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग, अयोध्या जिला प्रशासन और डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय को सबसे बड़ी संख्या में तेल के दीये जलाने के लिए दिया गया। दूसरा गिनीज पुरस्कार सर्वाधिक लोगों (2128) द्वारा एक साथ आरती करने के लिए दिया गया। यह पुरस्कार पर्यटन विभाग, अयोध्या जिला प्रशासन, अयोध्या और सरयू आरती समिति, अयोध्या को मिला।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक, ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ के प्रतिनिधियों ने ड्रोन से की गई दीयों की गिनती के बाद रिकॉर्ड्स बनने का एलान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन रिकॉर्ड्स के प्रमाणपत्र प्राप्त किए।
सरयू नदी के किनारे इकट्ठा हुए लोग
दीपोत्सव के भव्य आयोजन में अयोध्या की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक वैभव का अद्भुत प्रदर्शन किया गया। इस ऐतिहासिक समारोह को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग राम की पैड़ी पर सरयू नदी के किनारे इकट्ठा हुए।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और अयोध्या के जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से दीपोत्सव का आयोजन किया था।
इस मौके पर योगी ने कहा, ‘‘जब हमने 2017 में अयोध्या धाम में दीपोत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया, तो इसके पीछे हमारा उद्देश्य दुनिया को यह दिखाना था कि वास्तव में दीप कैसे जलाए जाते हैं।’’ मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति विपक्षी दलों के रुख को लेकर उन पर निशाना साधा।
योगी ने कहा, इसी अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान कांग्रेस ने कहा था कि राम एक मिथक हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं। सपा ने राम भक्तों पर अयोध्या में गोलियां चलाई थी।
सैफई महोत्सव पर खर्च करते थे पैसा
इस मौके पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जो लोग आपकी आस्था का अपमान करते थे, जिन्होंने अयोध्या की सड़कों को राम भक्तों और कारसेवकों के खून से भर दिया था। आज उन्हें अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम पसंद नहीं आ रहा है। जो लोग प्रदेश की सत्ता में रहते हुए दीपोत्सव, रंगोत्सव और देव दीपावली कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखते थे लेकिन सैफई महोत्सव और कब्रिस्तान की बाउंड्री के नाम पर प्रदेश का खजाना खर्च करते थे।”































