ब्लिट्ज ब्यूरो
चंडीगढ़। राजस्व अधिकारी को बार-बार बी क्लास तहसीलदार पद पर पदोन्नति से वंचित करने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार का रवैया अहंकार से भरा और सत्य को दबाने वाला है। हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पांच लाख का जुर्माना भी लगाया।
कोर्ट ने जुर्माना के पांच लाख में से आधी राशि याचिकाकर्ता व आधी पीजीआई चंडीगढ़ को देने का आदेश दिया।
सोनीपत निवासी देवेंद्र कुमार कानूनगो की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार का आचरण न केवल कानून-विरोधी और दुर्भावनापूर्ण है, बल्कि उसने जानबूझकर याचिकाकर्ता की सेवा-पुस्तिका को दबाया और फिर उसी के अभाव का बहाना बनाकर उसे प्रमोशन प्रक्रिया से बाहर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य अपनी उस भूमिका को भूल गया है, जो समानता और संवेदनशीलता के साथ प्रत्येक नागरिक को न्याय देने की है। कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को खारिज कर दिया कि 2022 की पदोन्नति प्रक्रिया में केवल दो पद रिक्त थे और उन्हें भर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि याची वरिष्ठता सूची में तीसरे स्थान पर था, फिर भी उसे केवल इसलिए पदोन्नति से बाहर रखा गया क्योंकि उस पर एक सतर्कता जांच लंबित थी जबकि इस आधार को पूर्व में ही अदालत द्वारा अमान्य घोषित किया जा चुका था। कोर्ट ने कहा कि राज्य की स्थिति न केवल भ्रामक बल्कि कपटपूर्ण और शरारतपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि राज्य एक निष्पक्ष नियोक्ता के बजाय एक पूर्वाग्रहग्रस्त अभिनेता की भांति व्यवहार कर रहा है।































