ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। यदि महिलाएं अपनी कमर पर टाइट पेटीकोट बांधती हैं तो उन्हें स्िकन कैंसर का खतरा हो सकता है। यह बात एक रिसर्च में साबित हुई है इसलिए डॉक्टरों ने महिलाओं को हिदायत दी है कि टाइट साड़ी और चूड़ीदार बिल्कुल भी न पहनें। यदि कमर पर लाल निशान और खुजली महसूस हो तो मेडिकल हेल्प लें।
छह गज की साड़ी भला किस महिला को पसंद नहीं होगी। दादी-नानी के जमाने से लेकर आज कॉलेज गोइंग लड़कियां खूबसूरत साड़ियों पर जान लुटाती हैं। मगर क्या आपको पता है कि साड़ी पहनने से भी कैंसर का खतरा पता चला है। यह बात बहुत डराने वाली है क्योंकि घर-घर में साड़ी एक अभिन्न अंग बन चुकी है। एक इंटरव्यू में एचसीजी कैंसर सेंटर, बोरीवली की कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. दर्शना राणे ने कहा, ‘साड़ी कैंसर एक दुर्लभ स्थिति है, जो उन महिलाओं को प्रभावित कर सकती है, जो रोज साड़ी पहनती हैं। यह कैंसर शरीर के उस स्थान पर होता है, जहां पर साड़ी बांधी जाती है जो कि कमर के बीच का भाग है।
यह पेटीकोट के टाइट नाड़े के कारण होती है, जो साड़ी को बांधने के लिए कमर पर कसी जाती है। ‘साड़ी कैंसर’ के कारण इसे ‘पेटीकोट कैंसर’ के नाम से भी जाना जाता है।
भारत के डॉक्टरों ने किया रिसर्च
बिहार और महाराष्ट्र के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक शोध से पता चला है कि कई भारतीय महिलाएं साड़ी पहनते समय पेटीकोट को बहुत कसकर बांधती हैं। पेटीकोट को कसकर बांधने से त्वचा पर लगातार रगड़ और दबाव बढ़ सकता है। लंबे समय तक ऐसा करने से कैंसर हो सकता है। डॉक्टरों ने दो वृद्ध महिलाओं के मामलों का जिक्र किया है, जिन्हें त्वचा कैंसर का एक प्रकार, जिसे ‘मार्जोलिन अल्सर’ कहा जाता है, विकसित हो गया। इस रिपोर्ट को हाल ही में बीएमजे केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है।
70 साल की महिला को साड़ी से हुआ कैंसर
पहले मामले में, एक 70 वर्षीय महिला के दाहिने हिस्से में त्वचा पर एक अल्सर विकसित हो गया, जिसमें त्वचा का रंग भी फीका पड़ गया था। पेटीकोट की तंग डोरी ने त्वचा को लंबे समय तक नुकसान पहुंचाया, जिससे ‘मार्जोलिन अल्सर’ हो गया।
महिला ने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि, ‘मैंने दशकों तक खूब कसी साड़ी बांधी, मुझे नहीं पता था कि ये मेरी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। त्वचा में हल्का सा बदलाव हुआ जो धीरे-धीरे दर्दनाक और ठीक न होने वाले अल्सर में बदल गया, बाद में पता चला कि मुझे स्किन कैंसर हुआ है।’ डॉ. दर्शना राणे के अनुसार, ‘जब यह नाड़ा लगातार एक ही स्थान पर कमर पर बांधा जाता है, तो इससे त्वचा में जलन (डर्माटोसिस) होती है, जिससे आगे चलकर अल्सर (घाव) या ‘मार्जोलिन अल्सर’ बन सकते हैं, और बहुत ही दुर्लभ मामलों में, ये घाव कैंसर में बदल सकते हैं।’
ऐसे पहचानें ‘साड़ी कैंसर’ का लक्षण
पेटीकोट का तंग नाड़ा लंबे समय तक जलन पैदा कर सकता है। भारत की गर्मी में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, यह समस्या तेजी से बढ़ सकती है। कसी साड़ी से त्वचा का रंग बदलना या हल्की पपड़ी पड़ना गंभीर लक्षण हो सकते हैं।
डॉ. दर्शना राणे बताती हैं, पेटीकोट का नाड़ा जब गर्म और आर्द्र मौसम में कसकर बांधा जाता है, तो यह पसीना और धूल के जमा होने से जलन और खुजली पैदा कर सकता है।