ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। बाजार नियामक सेबी ने छोटे एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए सख्त नियामकीय ढांचे को मंजूरी दे दी। इसके तहत, आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) लाने की योजना बना रहे एसएमई के लिए जरूरी है। दाखिल करते समय उनका परिचालन लाभ पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से दो में कम-से-कम एक करोड़ रुपये होना चाहिए। इसका मकसद तेजी से बढ़ते एसएमई सेगमेंट में पारदर्शिता, प्रबंधन और फंड के दुरुपयोग से जुड़ी चिंताओं को दूर करना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बोर्ड ने एसएमई आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) बाजार को मजबूत करने, लिस्टिंग की गुणवत्ता में सुधार करने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कई उपायों को मंजूरी दी है।
इसके तहत, एसएमई कंपनियां आईपीओ से जुटाई गई रकम का इस्तेमाल प्रमोटरों, निदेशकों और संबंधित पार्टियों से लिए गए कर्ज का भुगतान करने में नहीं कर सकेंगी। कंपनी के शेयरधारक आईपीओ अवधि के दौरान अपनी 50 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी नहीं बेच सकेंगे।
सेबी ने कहा, एसएमई आईपीओ में शेयरधारक कुल निर्गम आकार का अधिकतम 20 फीसदी हिस्सेदारी ही ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के जरिये बेच सकेंगे। इसके अलावा, कंपनियों को डीआरएचपी को 21 दिनों के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए उपलब्ध कराना होगा।































