ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में वंदे मातरम् पर सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में वंदे मातरम ्के केवल दो अंतरों को मान्यता दी थी। यहीं से देश में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हुई। शाह ने कहा, इस तरह के फैसलों ने आगे चलकर देश के विभाजन का रास्ता तैयार किया। अगर उस समय पूरा वंदे मातरम् स्वीकार किया जाता तो शायद भारत का विभाजन न होता।
शाह ने संबोधन में कहा- जब वंदे मातरम् 100 साल का हुआ, पूरे देश को बंदी बना दिया गया। जब 150 साल पर कल सदन (लोकसभा) में चर्चा शुरू हुई, गांधी परिवार के दोनों सदस्य (राहुल-प्रियंका) नदारद थे। वंदे मातरम् का विरोध नेहरू से लेकर आज तक गांधी परिवार के खून में है।
चर्चा चुनाव से जुड़ी नहीं
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- जो लोग वंदे मातरम् के महत्व को नहीं जानते वे इसे चुनाव से जोड़ रहे हैं। शाह के बयान को प्रियंका गांधी के बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है। दरअसल एक दिन पहले लोकसभा में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा था- वंदे मातरम् गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है। आज इस पर बहस क्यों हो रही है? मैं बताती हूं- क्योंकि बंगाल का चुनाव आ रहा है। मोदी जी उसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।
अमित शाह ने कहा, जिस गान को गांधी ने राष्ट्र की शुद्धतम आत्मा से जुड़ा गीत कहा, उस वंदे मातरम् के टुकड़े करने का काम कांग्रेस ने किया। वंदे मातरम् ने आजादी के आंदोलन को गति दी। श्यामजी कृष्ण वर्मा, मैडम भीखाजी कामा और वीर सावरकर ने भारत का त्रिवर्ण ध्वज निर्मित किया था, उस पर भी स्वर्णिम अक्षर में एक ही नाम लिखा था- वंदे मातरम्।
भारतीय जनता पार्टी का एक भी सदस्य वंदे मातरम् गान के समय सम्मान के साथ कड़ा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। कांग्रेस के जिस जिस सांसद ने वंदे मातरम् नहीं गाने पर बयान दिया। सदन से बाहर चले गए, मैं इसकी लिस्ट सदन के पटल पर रख दूंगा। इस सदन के चर्चा के रिकॉर्ड में रहना चाहिए कि कांग्रेस के सांसद वंदे मातरम् का विरोध करते हैं। बंकिम चंद्र की 130वीं जयंती पर हमारी सरकार ने एक स्टांप जारी किया। आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर हर घर तिरंगा अभियान भी हमने शुरू किया और आह्वान किया था तिरंगा फहराते वक्त वंदे मातरम् का कहना भूलना नहीं है। अमित शाह बोले- हम सब सौभाग्यशाली हैं कि आज वंदे मातरम् पर चर्चा हो रही।
गृहमंत्री ने कहा, ‘वंदे मातरम् के यशोगान के लिए चर्चा के लिए हम यहां आए है। चर्चा के जरिए हमारे देश के किशोर, युवा, आने वाली पीढ़ियों तक वंदे मातरम् का योगदान पता चले। हम सब सौभाग्यशाली है कि हमें एतिहासिक पल के साक्षी बन रहे हैं।
उन्होंने कहा, इस महान सदन में वंदे मातरम ्पर चर्चा हो रही है तब कुछ सदस्यों ने लोकसभा में सवाल किया था इस चर्चा की जरूरत क्या है। चर्चा की जरूरत वंदे मातरम् के प्रति समर्पण के प्रति जरूरत जब यह बना तब भी थी और अब भी है।’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- ‘सही है कि वंदे मातरम् के रचनाकार बंकिम बाबू बंगाल में पैदा हुए, बंगाल में गीत की रचना हुई लेकिन यह सिर्फ बंगाल तक या देश तक सीमित नहीं रहा। दुनिया भर में जहां तक आजादी के दीवाने थे, उन्होंने इसका गुणगान किया। जब सरहद पर एक जवान अपने प्राण त्यागता है, तो उसकी जुबान पर वंदे मातरम् होता है।’ शाह ने कहा- आने वाली पीढ़ियों को वंदे मातरम् के बारे में बताना जरूरी।





























