ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षामित्र अब आठ साल बाद अपने मूल स्कूल में आ सकेंगे। वहां पद खाली नहीं होगा तो उसके नजदीकी स्कूल को चुन सकेंगे। महिला शिक्षामित्र अपनी ससुराल के नजदीकी स्कूल में भी तबादला करवा सकेंगी। इस बाबत प्रदेश सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं। ऑनलाइन माध्यम होने वाले इन तबादलों के लिए नीति जारी कर दी गई है।
सपा सरकार में प्रदेश के करीब 1.37 लाख शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया गया था। शिक्षक बनने पर उनको दूर-दराज के ब्लॉक में पोस्टिंग दी गई थी। शिक्षक बनने पर उन्होंने खुशी-खुशी दूर-दराज के स्कूलों में जाना स्वीकार कर लिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उनका बतौर शिक्षक किया गया समायोजन रद्द कर दिया गया और वे फिर शिक्षामित्र बन गए। ऐसे में उनका मानदेय 10 हजार रुपये प्रति माह ही रह गया लेकिन उनकी तैनाती वहीं रह गई जहां वे शिक्षक बनकर गए थे। इसतरह वे अपने घर से दूर हो गए।
35 हजार शिक्षामित्रों को मिलेगी राहत
सरकार ने साल 2018 में शिक्षामित्रों को अपने मूल विद्यालय में आने का मौका दिया था। ऐसे में करीब एक लाख शिक्षामित्र तो उस समय वापस आ गए पर करीब 35 हजार शिक्षामित्र शिक्षक बनने की उम्मीद में अपने मूल विद्यालय में नहीं आए। उस समय काफी शिक्षामित्र कोर्ट और शासन से शिक्षक बनने की लड़ाई लड़ रहे थे। वे तब से दूर-दराज के ब्लॉक में थे। धीरे-धीरे जब शिक्षक बनने की उम्मीद धूमिल होती गई तो ये शिक्षामित्र भी इस कोशिश में लग गए कि किसी तरह अपने मूल विद्यालय या घर के नजदीकी विद्यालय में वापस आ जाएं। अब सरकार ने एक मौका और दे दिया है।
पद खाली नहीं तो अन्य नजदीकी स्कूल में मिलेगा स्थान
शासनादेश के अनुसार शिक्षामित्रों का तबादला या समायोजन होगा तो सबसे पहले उनको अपने मूल विद्यालय का विकल्प मिलेगा। अगर वहां पद खाली नहीं होगा तो उसी न्याय पंचायत में जहां पद खाली होगा, वहां का विकल्प चुन सकेंगे। इसका सबसे ज्यादा फायदा विवाहित महिला शिक्षामित्रों को होगा।
कई ऐसी महिला शिक्षामित्र जिनकी शादी दूसरे जिले में भी हो गई है या उसी जिले में दूर पहुंच गई हैं उनको अपनी ससुराल में घर के नजदीकी विद्यालय का विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा।
ऑनलाइन मेरिट से होगा समायोजन
– शिक्षामित्रों के अपने मूल विद्यालय या नजदीकी विद्यालय में समायोजन ऑनलाइन मेरिट के आधार पर किए जाएंगे।
– सबसे पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) पोर्टल पर खाली पदों और शिक्षामित्रों की तैनाती का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसके बाद आवेदन मांगे जाएंगे।
– बतौर शिक्षा मित्र जॉइनिंग से लेकर अब तक के कार्यकाल पर सबसे ज्यादा 20 अंक वेटेज दी जाएगी।
– असाध्य रोग, दिव्यांग, पति या पत्नी की सरकारी सेवा, एकल अभिभावक को भी 10-10 अंक की वेटेज दी जाएगी।
संगठनों ने जताई खुशी
सरकार के इस निर्णय पर शिक्षामित्रों के संगठनों ने खुशी का इजहार किया है। प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के महामंत्री सुशील यादव ने कहा है कि सरकार के इस निर्णय से कई परिवारों को राहत मिली है। बीटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा है कि अब उम्मीद है कि सरकार मानदेय बढ़ाने पर भी विचार करेगी।
8 लाख कार्मिकों का बढ़ेगा वेतन !
योगी सरकार शिक्षामित्रों संग अनुदेशकों समेत राज्य के करीब 8 लाख कार्मिकों के वेतन और मानदेय में बढ़ोतरी की भी तैयारी कर रही है। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ ने न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कार्मियों को एक समान 17 हजार से 20 हजार रुपये प्रतिमाह देने के निर्देश दिए हैं।
इस फैसले से ऐसे सभी कर्मियों को फायदा होगा जो इस श्रेणी में हैं और वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकेंगे। जानकारी के अनुसार इसके लिए तैयार प्रस्ताव को वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे जल्द ही कैबिनेट से पास कराने की तैयारी है। सरकार का मानना है कि वर्तमान में श्रम विभाग के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जो भुगतान किया जा रहा है, वह उपयुक्त नहीं है लिहाजा इसमें बढ़ोत्तरी करने की जरूरत है।
वर्तमान में शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपए प्रतिमाह और अनुदेशकों को 9 हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। अभी हाल ही में राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को मूल स्कूल वापसी और अंतर्जनपदीय ट्रांसफर की सुविधा देने का शासनादेश जारी कर बड़ी राहत दी है। अब मानदेय में बढ़ोतरी से यह दूसरा तोहफा होगा।