ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अब एमवीए यानी महाविकास अघाड़ी में टूट के आसार हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन खबरें हैं कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी के अधिकांश विधायक एमवीए से अलग होने का दबाव बना रहे हैं। साथ ही चुनावों में अपने दम पर उतरने का सुझाव दे रहे हैं। शिवसेना यूबीटी ने 96 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 20 पर जीत हासिल की थी।
2019 में छोड़ा था बीजेपी का साथ
साल 2019 में 105 विधानसभा सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ा दल बनी थी। तब उसने अविभाजित शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि, खबरें आईं कि मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बनी और उद्धव ने अलग होने का फैसला कर लिया था। तब शिवसेना ने अविभाजित एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन किया था और खुद मुख्यमंत्री बने थे।
हालांकि, जून-जुलाई 2022 में एकनाथ शिंदे समेत अधिकांश विधायकों ने शिवसेना से अलग होने का फैसला कर लिया था, जिसके बाद एमवीए सरकार ने बहुमत का आंकड़ा गंवा दिया और राज्य सरकार गिर गई। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
क्या चाहते हैं उद्धव ठाकरे
एक रिपोर्ट के अनुसार ठाकरे की तरफ से बुलाई गई बैठक में अधिकांश विधायकों ने कथित तौर पर गठबंधन छोड़ने की अपील की है। सूत्रों ने बताया है कि आदित्य ठाकरे, संजय राउत और ठाकरे के अलावा पार्टी के कई और बड़े नेता ‘बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष’ रखने के लिए गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में हैं।
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा, ‘हमारे कई विधायकों को लगता है कि अब समय आ गया है कि शिवसेना यूबीटी स्वतंत्र राह बनाए, खुद के दम पर चुनाव लड़े और किसी गठबंधन पर निर्भर न रहे। शिवसेना कभी भी सत्ता के पीछे नहीं थी…। जब हम हमारी विचारधारा पर अडिग रहेंगे, तो यह अपने आप ही हमारे पास आ जाएगी।‘
माना जाता है कि 2022 में टूट के बाद जब कई बड़े नेता शिंदे गुट में शामिल हो गए थे, तब कैडर ठाकरे परिवार का वफादार बना रहा था।
एकता पर भी सवाल
शिवसेना यूबीटी के कई नेता एमवीए में एकता पर भी सवाल उठा रहे हैं। वह सीट शेयरिंग में देरी, कांग्रेस नेताओं की तरफ से शिवसेना यूबीटी उम्मीदवारों के समर्थन के बजाए निर्दलीयों की मदद का भी हवाला दे रहे हैं। सोलापुर दक्षिण में कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने मतदान के दिन बागी उम्मीदवार का समर्थन किया था। जबकि, सीट पर एमवीए का उम्मीदवार शिवसेना यूबीटी से था।