नई दिल्ली। टेक्निकल कोर्सेज वाले स्टूडेंट्स के लिए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन यानी एआईसीटीई ने पीएचडी की राह मुश्किल कर दी है। एआईसीटीई ने पहले से रिसर्च के नियम कड़े कर दिए हैं। नियम बनाने के लिए बनाई गई एक टास्क फोर्स ने हाल ही में एक सुझाव दिया है। इसके अनुसार अब स्टूडेंट्स के लिए अपना रिसर्च वर्क अपने साथियों के जर्नल्स में पब्लिश कराना अनिवार्य होगा। साथ ही रिसर्चर्स को अपनी थीसिस के डिस्क्लेमर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के इस्तेमाल के बारे में बताना होगा।
टेक्निकल एजुकेशन में पीएचडी और डीएससी प्रोग्राम्स के लिए कॉम्पि्रहेंसिव फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए यह टास्क फोर्स बनाई गई थी जिसकी अध्यक्षता बेंगलुरु यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर केआर वेणुगोपाल कर रहे हैं। अभी तक एआईसीटीई यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यानी यूजीसी के बनाए गए नियमों को फॉलो करता रहा है यानी अब तक टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल स्ट्रीम्स के लिए एक ही तरह के कायदे-कानून फॉलो हो रहे थे। टास्क फोर्स ने जुलाई 2025 में अपनी रिपोर्ट एआईसीटीई को दी है। हालांकि अभी रिपोर्ट को शिक्षा मंत्रालय की ओर से अप्रूव नहीं किया गया है।
रिसर्च से संबंधित आर्टिकल
पब्लिश करवाना जरूरी
नए सुझावों के अनुसार, रिसर्च स्कॉलर्स को अपनी थीसिस पर आधारित आर्टिकल्स पब्लिश कराने होंगे। इसके लिए रिसर्चर्स को ध्यान देना होगा कि वो ऐसी पत्रिकाओं में आर्टिकल्स पब्लिश करवाएं जिसे उनके कलीग्स, सीनियर्स और साथी स्टूडेंट्स ने अप्रूव किया हो। इसी के साथ स्कॉलर्स को कॉन्फ्रेंस में भी अपने आर्टिकल्स प्रेजेंट करने होंगे। जो रिसर्चर्स स्कोपस-इंडेक्स क्यू वन जर्नल में अपना आर्टिकल पब्लिश कराएंगे वो 2.5 साल के कम समय में भी थीसिस सब्मिट करने के लिए एलिजिबल होंगे।
यूजीसी ने फिलहाल आर्टिकल पब्लिश करने को लेकर कोई नियम जारी नहीं किया है। वेणुगोपाल ने कहा कि इस बदलाव से टेक्निकल एजुकेशन की क्वालिटी बेहतर हो सकेगी। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स जब तक अपना आर्टिकल पब्लिश नहीं कराएंगे, उन्हें आगे आने वाले स्टूडेंट्स को अपने रिसर्च पेपर की मदद से गाइड करने में परेशानी आ सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिकल के लेखक के रूप में गाइड नहीं बल्कि स्टूडेंट को क्रेडिट दिया जाएगा।
एआई पर सुझाव
टास्क फोर्स ने एक सुझाव यह भी दिया है कि एआई के इस्तेमाल की पूरी जानकारी स्कॉलर्स को थीसिस के डिस्क्लेमर में देनी होगी। इसी के साथ कॉपीराइट स्टेटमेंट्स, रेफरेंस और साहित्यिक चोरी यानी प्लेगियरिज्म की जानकारी भी डिस्क्लेमर में शामिल करनी होगी। वेणुगोपाल ने यह देखा कि रिसर्च और एजुकेशन में एआई अब एक स्टैंडर्ड टूल बन चुका है। उन्होंने यह सुझाव दिया कि एआई का इस्तेमाल अलाउड है लेकिन थीसिस का केवल 20% हिस्सा ही एआई के इस्तेमाल से लिखा गया हो, जैसा कि प्लेगियरिज्म के लिए भी होता है।
रिटायर्ड प्रोफेसर्स भी गाइड कर सकेंगे
इसके अलावा इन सुझावों में रिसर्च की टाइम लिमिट और मेंटरशिप को लेकर फ्लेक्सिबल अप्रोच अपनाया गया है। हाई-अचीविंग स्टूडेंट्स 2.5 सालों में अपनी पीएचडी पूरी कर सकते हैं। नए नियमों के अनुसार अब स्टूडेंट्स पूरे देश में एक यूनिवर्सिटी से दूसरी यूनिवर्सिटी में माइग्रेट कर सकते हैं। रिटायर हो चुके प्रोफेसर्स स्टूडेंट्स को रिटायरमेंट के बाद भी को-गाइड कर सकते हैं।
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