ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी मिलने के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने तीन जजों की समिति गठित की है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की ओर से सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद यह फैसला किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा बनाए रखने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मामले से जुड़े सभी दस्तावेज अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी न्यायमूर्ति के खिलाफ आरोपों की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए गए।
न्यायिक कार्य से दूर रखने का निर्देश
सीजेआई ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय को फिलहाल न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को न्यायिक कार्य से दूर रखने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत की ओर से जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि उच्च न्यायालय के मौजूदा जज न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करने के लिए सीजेआई ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनु शिवरमन को शामिल किया गया है।
शुक्रवार को सौंपी गई थी रिपोर्ट
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने अपनी जांच रिपोर्ट सीजेआई संजीव खन्ना को सौंपी थी। बताया जाता है कि रिपोर्ट शुक्रवार को ही सौंप दी गई थी। जांच के दौरान न्यायमूर्ति वर्मा को भी पक्ष रखने का मौका दिया गया था।
न्यायमूर्ति वर्मा के आवास में 14 मार्च की देर रात लगी थी आग दिल्ली हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली में 30, तुगलक रोड पर स्थित सरकारी आवास में 14 मार्च की देर रात आग लगी थी। उस वक्त न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली से बाहर थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने की बात सामने आई थी। इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को अदालत के गलियारों से
लेकर देश की संसद तक में चर्चा हुई थी। इस बीच, दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख अतुल गर्ग ने अग्निशमन कर्मियों द्वारा नकदी मिलने के दावों का खंडन किया। उन्होंने दोहराया कि उन्होंने इस संबंध में कोई भी बयान नहीं दिया है
रिपोर्ट की खास बातें
■ रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के आवास से अधजली मुद्रा मिलने का जिक्र है
■ दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि मामले की गहन जांच की जरूरत है
■ जस्टिस वर्मा के पिछले छह महीने के कॉल रिकॉर्ड खंगाले जाएंगे।