ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त में राशन बांटने को लेकर चिंता जताई है। अदालत का कहना है कि राज्यों के लिए केंद्र सरकार से फ्री राशन लेना बेहद आसान है। यह उनकी लोकप्रियता भले ही बढ़ाता हो लेकिन इसका बोझ टैक्सपेयर्स को उठाना पड़ता है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले सप्ताह यह टिप्पणी की।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत का कहना था कि रोजगार पैदा करने और बुनियादी ढांचे का निर्माण करने जैसे काम भी मुफ्त राशन के बांटने जितने ही अहम हैं। जस्टिस कांत ने टिप्पणी करते हुए कहा,
क्या हम अभी भी ‘गरीबी’ का टैग ढो रहे हैं? राज्य कहते हैं कि हम राशन कार्ड, मुफ्त राशन जारी करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते केंद्र इसे दे। केंद्र देगा, लेकिन किस कीमत पर? बोझ टैक्सपेयर्स पर है। हम बुनियादी ढांचे, रोजगार पैदा करने के लिए पैसा कहां से लाएंगे? ये भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
जस्टिस कांत ने पूछा कि क्या देश 2025 में भी गरीबी के उसी स्तर पर अटका हुआ है, जिस पर 2011 में था, जब पिछली जनगणना हुई थी। इस पर याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पिछले दशक में जनसंख्या में बढ़ोतरी के साथ ही गरीब लोगों की संख्या भी बढ़ी होगी। इससे पहले की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि फूड सिक्योरिटी की दिक्क तों का लॉन्ग टर्म समाधान रोजगार पैदा करना है।