ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के वनतारा में हाथियों के स्थानांतरण को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यदि पूरी प्रक्रिया और नियमों का पालन किया गया है तो इसमें कोई गलती नहीं है। अदालत ने जांच समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया जिसमें सभी नियमों का पालन बताया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर तय प्रक्रिया का पालन किया गया है तो हाथियों को रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा में भेजने में कोई गलती नहीं है। अदालत गुजरात स्थित इस वाइल्डलाइफ फैसिलिटी में हाथियों के स्थानांतरण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
शीर्ष अदालत की पीठ ने नोट किया कि इस मामले की जांच के लिए बनाई गई समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और उसमें नियामकीय अनुपालन पर संतोष व्यक्त किया गया है। अदालत ने कहा, ‘अगर वनतारा वन विभाग से हाथियों को अपने संरक्षण में लेता है और पूरी प्रक्रिया का पालन होता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। हमारे द्वारा गठित एसआईटी ने बताया है कि सभी संबंधित प्राधिकरण अनुपालन और नियमों से संतुष्ट हैं।
अनंत अंबानी के वनतारा का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि आपत्तियां वे देश उठा रहे हैं जो शिकार की अनुमति देते हैं, सिर्फ इसलिए कि भारत कुछ अच्छा कर रहा है। उन्होंने जोर दिया कि रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ सेंटर सुप्रीम कोर्ट की समिति के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहा है और अपना स्टाफ उपलब्ध करा रहा है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में कुछ गोपनीय जानकारियां हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।
‘कार्रवाई की जरूरत होगी तो हम आदेश देंगे’
जजों ने कहा, ‘हम रिपोर्ट को देखेंगे और अगर किसी कार्रवाई की जरूरत होगी तो आदेश पारित करेंगे। हमने जानबूझकर अभी तक रिपोर्ट नहीं खोली है। समिति ने अपना काम समय पर किया है, हम इसकी सराहना करते हैं।’ अदालत ने स्पष्ट किया कि वह शुरू से दखल देने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन आरोप सामने आने के बाद जांच का आदेश दिया गया।
बता दें कि हजारों एकड़ में फैला वनतारा रिलायंस के रिफाइनरी परिसर के भीतर स्थित है और आज यह दुनिया के सबसे बड़े निजी पशु संरक्षण केंद्रों में से एक बन चुका है, जहां हाथियों समेत कई जानवरों की देखभाल, वेटरनरी सुविधाएं और संरक्षण परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।