ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कैंसर से पीड़ित एक महिला को राहत देते हुए सरेंडर करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। एनडीपीएस कानून के तहत आरोपों का सामना कर रही कैंसर पीड़ित महिला ने मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने की मांग की थी।
मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला की इस याचिका को खारिज करते हुए उसे आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस आदेश को ज्योति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस उज्ज्वल भुइंया और जस्टिस मनमोहन की अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता ज्योति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
वरिष्ठ वकील अमित चड्ढा, वकील सार्थक सेठी और फुरकान हसन महिला की ओर से पेश हुए। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की तबीयत बिगड़ गई थी, जब उन्हें सांस लेने की गंभीर तकलीफ, कमजोरी और हाथ-पैरों में कमजोरी महसूस हुई और वह गिर पड़ीं।
उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। महिला की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने अस्पताल में भर्ती कर कड़ी निगरानी और पर्यवेक्षण में रखने की सलाह दी। याचिकाकर्ता का अभी उपचार चल रहा है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था कि अभियोजन पक्ष ने यह दलील दी कि बीमारी का उपचार जेल में भी किया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने निर्देश दिया कि उन्हें उनकी पसंद के अस्पताल में सर्वोत्तम उपचार प्रदान किया जाए और यह खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
हाई कोर्ट ने कहा, अभियुक्त के न्यायिक हिरासत में होने के कारण राज्य की जिम्मेदारी है कि वह महिला के कल्याण और अच्छे स्वास्थ्य का अधिकार सुनिश्चित करे। हाईकोर्ट ने यह भी माना था कि इलाके में उसका चरित्र खराब है। उसके खिलाफ 29 मामले दर्ज हैं, जिनमें से चार एनडीपीएस अधिनियम के तहत हैं। मौजूदा मामले में आरोपी ज्योति से 480 ग्राम हेरोइन बरामद की गई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने ज्योति को अंतरिम जमानत दी थी।































