ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग एप्स की बढ़ती पहुंच और उनके दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है कि इस पर अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
इस याचिका में मांग की गई है कि देशभर में ऑनलाइन और ऑफलाइन सट्टेबाजी एप्स पर सख्त नियमन लागू किया जाए ताकि इससे होने वाले मानसिक और आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।
सिर्फ राज्य सरकारें ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई अहम केंद्रीय एजेंसियों और कंपनियों को भी पक्षकार बनाते हुए जवाब तलब किया है। कोर्ट ने भारतीय रिज़र्व बैंक ,प्रवर्तन निदेशालय , गूगल इंडिया, एपल इंडिया, दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, ड्रीम 11 फैंटसी स्पोर्ट, मोबाइल प्रीमियर लीग और ए 23 गेम्स से जवाब मांगा है।
कोर्ट ने पूछा है कि इन कंपनियों और एजेंसियों ने सट्टेबाज़ी या रियल मनी गेमिंग से जुड़े कंटेंट को लेकर अब तक क्या दिशा-निर्देश अपनाए हैं और किस हद तक इसे कंट्रोल किया गया है।
सट्टेबाजी एप्स पर क्यों उठे सवाल?
हाल के वर्षों में सट्टेबाजी और फैंटेसी गेमिंग एप्स जैसे ड्रीम 11, एमपीएल और ए 23 की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इनमें ‘रियल मनी’ का लेन-देन होता है, जो कई बार जुए जैसी आदतों को बढ़ावा देता है। कई राज्यों ने पहले ही ऐसे एप्स को प्रतिबंधित करने की कोशिश की है, लेकिन अब इस पर एक समान राष्ट्रीय नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस नोटिस को एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जिससे आने वाले दिनों में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर सख्ती के संकेत मिलते हैं।