नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को उसके निर्देश के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार की योजना नहीं लाने के लिए फटकार लगाई है। साथ ही देरी के लिए स्पष्टीकरण देने के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा।
कार्रवाई करने में संकोच नहीं
जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने यह चेतावनी भी दी कि वह इस मामले में कोर्ट की अवमानना के लिए कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी।
पीठ ने कहा कि सरकार को दिया गया समय 15 मार्च को समाप्त हो गया है। हमारे अनुसार यह न केवल इस कोर्ट के आदेशों का बहुत गंभीर उल्लंघन है, बल्कि यह कानून में एक बहुत ही लाभकारी खंड को लागू करने में विफलता का मामला है। हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने और केंद्र सरकार की ओर से चूक के बारे में बताने का निर्देश देते हैं।
कुछ अड़चने आ रही हैं
मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि योजना तैयार कर ली गई है, लेकिन इसे लागू करने में कुछ “अड़चनें” आ रही हैं। लेकिन जस्टिस ओका ने कहा कि आपकी चूक की वजह से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। हम इसे हल्के में नहीं ले सकते।
जज ने कहा कि हम इसे बहुत स्पष्ट कर रहे हैं। इसके लिए हम अवमानना का नोटिस भी जारी करेंगे, अगर हमें नहीं लगा कि कोई प्रगति हुई है। यह आपका कानून है। लोग इसलिए जान गंवा रहे हैं क्योंकि कैशलेस इलाज नहीं है। बनर्जी ने कहा कि हमने बड़ी संख्या में बैठकें की हैं, हमने यथासंभव प्रयास किया है।
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