ब्लिट्ज ब्यूरो
वाराणसी। प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में फर्जी शोध अनुभव के आधार पर प्राचार्यों को नियुक्ति मिली। फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने वालों की संख्या 70 फीसदी है। शासन से शिकायत के बाद मामले में जांच शुरू हो गई है और प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराकर शासन ने आख्या मांगी है। प्रदेश भर में नियुक्त 290 प्राचार्य के प्रमाणपत्रों का सत्यापन दोबारा कराया जाएगा।
फर्जी और कूटरचित अभिलेखों के आधार पर प्राचार्य पद पर चयनित होने की शिकायत के बाद शासन ने यह निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा के शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी करके प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं।
संयुक्त निदेशक डॉ. शशि कपूर की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को जारी पत्र में कहा गया है कि विज्ञापन संख्या 49 के तहत फर्जी कूटरचित अभिलेखों के आधार पर प्राचार्य पद पर चयनित होने की शिकायत मिली थी। इसके आधार पर चयनित प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराकर सत्यापन आख्या दो दिन में उपलब्ध कराएं। इसके बाद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने जिलों के महाविद्यालयों में पत्र भेजकर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस आदेश से प्रदेश के कॉलेजों में हड़कंप की स्थिति है। शिकायकर्ता सलिल कुमार तिवारी ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को लिखे पत्र में कहा है कि विज्ञापन संख्या 49 वर्ष 2019 के अंतर्गत अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों की भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद 21 जून 2021 में दस्तावेजों के सत्यापन किए गए।