ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए एलान किया कि 10 नए परमाणु रिएक्टरों पर काम शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ बिजली और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य में परमाणु ऊर्जा की भूमिका बेहद अहम है। यह घोषणा इस बात का संकेत है कि ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की राह में न्यूक्लियर पावर अब एक केंद्रीय ताकत बन चुकी है।
मौजूदा संयंत्र और नए प्रोजेक्ट
इस समय भारत के पास 25 परमाणु रिएक्टर हैं, जिनसे 8.88 गीगावॉट बिजली पैदा होती है। कई नए प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं- राजस्थान-8, तमिलनाडु के कुडनकुलम में चार यूनिट, हरियाणा का गोरखपुर प्लांट व कलपक्क म में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर। इनके शुरू होने पर देश को 6.6 गीगावॉट अतिरिक्त बिजली मिलेगी।
इसी कड़ी में 10 और रिएक्टरों (7 गीगावॉट) को मंज़ूरी मिल चुकी है। इनमें काइगा, छूटका, गोरखपुर और माही-बांसवाड़ा के प्रोजेक्ट शामिल हैं। खास बात यह है कि ये सभी भारत में विकसित 700 मेगावॉट क्षमता वाले प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर पर आधारित होंगे- जो देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता का सशक्त उदाहरण है।
2047 तक का लक्ष्य
सरकार का रोडमैप है कि 2031–32 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता 22.5 गीगावॉट तक पहुंचे और 2047 तक इसे लगभग 100 गीगावॉट तक ले जाया जाए। यह लक्ष्य विकसित भारत 2047 की बड़ी तस्वीर से सीधे जुड़ा है, जिसके तहत भारत स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक एक विकसित राष्ट्र बनना चाहता है।
निजी क्षेत्र के लिए दरवाज़े खुले
भारत के परमाणु क्षेत्र में पहली बार निजी कंपनियों को प्रवेश मिल रहा है। 2025–26 के बजट में एटॉमिक एनर्जी एक्ट और सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। इससे पूंजी, विशेषज्ञता और गति- तीनों जुड़ेंगे, जिससे प्रोजेक्ट समय पर पूरे हो सकेंगे।
इसके साथ ही सरकार छोटे आकार के स्मॉल मॉड्युलर रिएक्टर और 220 मेगावॉट क्षमता वाले भारत स्मॉल रिएक्टर पर भी रिसर्च बढ़ा रही है। लक्ष्य है कि 2033 तक पांच छोटे रिएक्टर चालू हो जाएं। ये रिएक्टर औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरतें पूरी करेंगे और ‘मेक इन इंडिया’ की असली तस्वीर पेश करेंगे।
स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धि
भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। 2025 तक देश की कुल बिजली क्षमता का आधा हिस्सा गैर-जीवाश्म स्रोतों से आने लगा है— यानी यह लक्ष्य पांच साल पहले ही पूरा हो गया। सौर ऊर्जा 2014 में जहाँ सिर्फ 2.6 गीगावॉट थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 119 गीगावॉट तक पहुंच गई। आज परमाणु ऊर्जा सौर, जलविद्युत और ग्रीन हाइड्रोजन की तरह भारत के स्वच्छ ऊर्जा मिशन की अहम धुरी है।
ऊर्जा में आत्मनिर्भरता
प्रधानमंत्री मोदी बार-बार इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि तेल और गैस के आयात पर निर्भरता भारत की कमजोरी है। घरेलू तकनीक से बने परमाणु संयंत्र देश को इस निर्भरता से मुक्त करेंगे और वैश्विक बाजार की अस्थिरता से बचाएंगे।
भारत का परमाणु कार्यक्रम सिर्फ बिजली पैदा करने का ज़रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, संप्रभुता और सतत विकास का प्रतीक है। अपनी तकनीक, निजी भागीदारी और साहसिक लक्ष्यों के साथ भारत खुद को स्वच्छ ऊर्जा का वैश्विक नेता बनाने की ओर बढ़ रहा है। अगर योजनाएं समय पर पूरी हुईं, तो 2047 तक भारत की परमाणु यात्रा दुनिया के सामने आत्मनिर्भर भारत का सबसे बड़ा उदाहरण होगी- जहां करोड़ों घरों में स्वच्छ, भरोसेमंद और सस्ती बिजली पहुंचेगी और भारत जलवायु जिम्मेदारी और आर्थिक स्वतंत्रता, दोनों में दुनिया का मार्गदर्शन करेगा।