नई दिल्ली। कुछ बच्चे जन्म से ही तेजी से बूढ़े दिखने लगते हैं। यह हचिंसन गिलफोर्ड प्रोजेरिया सिंड्रोम (एचजीपीएस) नामक दुर्लभ बीमारी का असर है लेकिन हाल में चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई उम्मीद जगाई है। उन्होंने पाया कि यदि शरीर की कोशिकाओं में लाइसोसोम को सक्रिय किया जाए तो यह बीमारी और समय से पहले आने वाले सामान्य बुढ़ापे की प्रक्रिया, दोनों को धीमा किया जा सकता है। यह अध्ययन ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। पेइचिंग विश्वविद्यालय और कुनमिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह पाया कि कोशिकाओं में मौजूद प्रोजेरिन नामक दोषपूर्ण प्रोटीन एचजीपीएस बीमारी का मुख्य कारण है।
यह प्रोटीन कोशिकाओं की दीवार को नुकसान पहुंचाता है, डीएनए को क्षतिग्रस्त करता है और कोशिकाओं को समय से पहले बूढ़ा बना देता है। शोध में बताया गया है कि सामान्य रूप से लाइसोसोम जिसे कोशिका का सफाईकर्मी कहा जाता है इन हानिकारक प्रोटीनों को हटाने का काम करता है लेकिन एचजीपीएस मरीजों में लाइसोसोम की कार्यक्षमता घट जाती है, जिससे प्रोजेरिन शरीर में जमा होकर बीमारी को बढ़ाता है। वैज्ञानिकों ने प्रोटीन काइनेज सी (पीकेसी) को सक्रिय करके और एमटीओआरसी-। नामक प्रोटीन
कॉम्प्लेक्स को अवरुद्ध करके लाइसोसोम को दोबारा सक्रिय किया। इससे नए लाइसोसोम बनने लगे और कोशिकाओं से प्रोजेरिन को तेजी से साफ किया गया। इसके प्रभाव से कोशिकाओं में डीएनए की क्षति कम हुई और बुढ़ापे के लक्षणों में उल्लेखनीय कमी आई।
महिला और पुरुष दोनों पर प्रभावी
लाइसोसोम को सक्रिय कर बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा करना महिला और पुरुष दोनों में समान रूप से संभव है, क्योंकि यह कोशिकीय स्तर पर काम करने वाली जैविक प्रक्रिया है न कि लिंग-विशिष्ट। लाइसोसोम का कार्य शरीर की सभी कोशिकाओं में एक जैसा होता है। यह क्षतिग्रस्त प्रोटीन को हटाकर कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है। जब वैज्ञानिकों ने पीकेसी को सक्रिय करने और एमटीओआरसी-। को अवरुद्ध करने के तरीके अपनाए, तो दोनों ही लिंगों की कोशिकाओं में लाइसोसोम की कार्यक्षमता बढ़ी और बुढ़ापे के संकेत धीमे हुए।
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