ब्लिट्ज ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैना देवी मंदिर में पशुबलि पर जारी रोक के बीच उच्च न्यायालय ने नंदा देवी महोत्सव के दौरान एक शर्त के साथ इस प्रतिबंध पर हल्की ढील दे दी है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने महोत्सव के दौरान मंदिर से कुछ दूरी पर बकरे की बलि देने की अनुमति दे दी है। हालांकि इसके लिए कोर्ट ने मंदिर से दूर एक निश्चित स्थान पर बूचड़खाना स्थापित करने का निर्देश दिया है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के पर्यावरण संबंधी चिंता जताने पर अदालत ने बूचड़खाने में बलि देने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश गुहानाथन नरेंद्र और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की दो सदस्यीय पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अनुमति दी। इस याचिका में पशु बलि को एक पुरानी परंपरा बताते हुए महोत्सव के दौरान इस उद्देश्य के लिए उच्च न्यायालय से अनुमति मांगी गई थी।
अदालत ने नगर परिषद को बूचड़खाने के लिए स्थान चिह्नित करने और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया। नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी छोर पर स्थित नैना देवी मंदिर में पशु बलि पर 2015 से प्रतिबंध लगा हुआ है। इस बारे में नैनीताल के स्थानीय निवासी पवन जाटव और अन्य ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि नंदा देवी महोत्सव के दौरान पशु बलि की प्रथा लंबे समय से चली आ रही थी, हालांकि साल 2015 में मंदिर में पशुओं के प्रवेश और बलि पर प्रतिबंध लगा दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह प्रतिबंध श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचा रहा है और इसलिए महोत्सव के दौरान बकरों की बलि के लिए एक बूचड़खाने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, पीपुल फॉर एनिमल्स की पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मौलेखी ने तर्क दिया कि सार्वजनिक स्थानों पर पशु बलि पर्यावरण के लिए हानिकारक है। जिसके बाद श्रद्धालुओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, खंडपीठ ने महोत्सव के दौरान बूचड़खाने में बलि की अनुमति दे दी।
हाई कोर्ट ने इसके लिए नगर पालिका को एक भूमि चिन्हित करने और वहां बूचड़खाना स्थापित करने का निर्देश दिया।