ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रतिष्ठित हिंदी लेखिका सूर्यबाला का उपन्यास ‘कौन देस को वासी वेणु की डायरी’ एक विशिष्ठ पृष्ठभूमि पर रचा गया साहित्य है। यह उपन्यास अमेरिका या विदेश की धरती पर रहने वाले भारतीय मन की व्यथा की सटीक कहानी कहता है। केके बिरला फाउंडेशन द्वारा दिए जाने वाले व्यास सम्मान 2024 के लिए इसका चुनाव किया गया है। समाज के कुछ मुद्दों को केंद्र में रखकर किसी कहानी या उपन्यास की रचना सूर्यबाला करती रही हैं। पुरस्कार के लिए चयनित उनके उपन्यास में ऐसे युवाओं की मनोदशा का विवरण है, जो समझते हैं कि अमेरिका में उसका आश्वस्तिकारक भविष्य है। आर्थिक उपलब्धियों की संभावनाओं में माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य भी किसी युवक का अमेरिका में जाना एक सुखद स्वप्न की तरह देखते हैं। आर्थिक पक्ष की दृष्टि से वर्तमान संदों में यह कुछ हद तक ठीक भी है, किन्तु अमेरिका जाने वाला युवक वहां जाने पर किन चुनौतियों का सामना करता है, किन प्रलोभनों का शिकार होता है और सांस्कृतिक स्तर पर किस वैचारिक संघर्ष से गुजरता है, इसका अनुमान सहज नहीं लगाया जा सकता।
आर्थिक समृद्धि किसी के जीवन के सभी कोनों को समृद्ध कर देती है, ऐसा नहीं माना जा सकता है। आनुवांशिक संस्कार, सांस्कृतिक निष्ठा और पारंपरिक जीवन शैली में उठे व्यतिक्रम और असंतोष से जीवन में संकट पैदा होता है। इसके अभाव में व्यक्ति विभाजित हो जाता है। मानव स्वभाव की एक मूलभूत दुर्बलता के कारण मनुष्य विदेशी सुख-सुविधाओं की ओर इस प्रकार आकर्षित होता है कि अपने आत्मिक अभावों को झेलकर भी वापस लौटने में समर्थ नहीं हो पाता है। युवा पीढ़ी अपने संस्कार और स्वभाव में इतनी बदल जाती है कि अपने मूल संस्कारों को न केवल छोड़ देती है बल्कि उसके प्रति अपने मन में घृणा के भाव भी विकसित कर लेती है।
साहित्य का प्रतिष्ठित पुरस्कार है व्यास सम्मान
केके बिरला फाउंडेशन द्वारा हर वर्ष दो बड़े साहित्यिक सम्मान दिए जाते हैं। संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी भारतीय भाषा में पिछले 10 वर्षों में प्रकाशित भारतीय नागरिक की साहित्यिक कृति को सरस्वती सम्मान (राशि 15 लाख) दिया जाता है।
पिछले 10 वर्ष में किसी भारतीय नागरिक की उत्कृष्ट हिंदी कृति पर व्यास सम्मान (राशि चार लाख) प्रदान किया जाता है। वर्ष 1991 से शुरू किए गए व्यास सम्मान से अब तक हिंदी के कई वरिष्ठ साहित्यकार सम्मानित किए जा चुके हैं।
50 से ज्यादा कृतियां हो चुकीं प्रकाशित
सूर्यबाला को हिंदी साहित्य के प्रमुख रचनाकारों में शामिल किया जाता है। अब तक उनकी 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें उपन्यास, जीवनी, व्यंग्य, विदेश संस्मरण और बाल उपन्यास शामिल हैं। 25 अक्तूबर 1943 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जन्मी सूर्यबाला ने काशी विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में एमए करने के उपरांत पीएचडी की उपाधि हासिल की। उनकी कई रचनाएं भारतीय व विदेशी भाषाओं में अनुदित हैं। उनकी कहानी ‘सजायापत्ता’ पर बनी टेलीफिल्म को 2007 में सर्वश्रेष्ठ टेलीफिल्म पुरस्कार दिया गया।