ब्लिट्ज ब्यूरो
ईटानगर। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने देश की उत्तरी सीमा पर अरुणाचल प्रदेश समेत हिमालय के दुर्गम और अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों में ‘प्रचंड प्रहार’ सैन्य अभ्यास किया। गुरुवार को खत्म हुए तीन दिवसीय त्रि-सेवा एकीकृत सैन्य अभ्यास में सेना ने टोही विमानों का इस्तेमाल कर लड़ाकू विमानों और रॉकेट प्रणालियों से सटीक निशाने लगाए।
एक रक्षा अधिकारी ने बताया, अभ्यास ‘प्रचंड प्रहार’ में मानव रहित विमान और अंतरिक्ष संसाधनों का इस्तेमाल किया गया। साथ ही तीनों सेवाओं के उन्नत निगरानी संसाधनों को अभ्यास के दौरान परखा गया। इस अभ्यास के दौरान वायु सेना के लंबी दूरी के निगरानी विमान और नौसेना के समुद्री क्षेत्र सतर्कता विमानों के अलावा हेलिकॉप्टरों का भी प्रदर्शन किया गया।
निगरानी संसाधनों का उपयोग
एक बयान में बताया गया कि इस दौरान भारतीय सेना के विशिष्ट विशेष बलों ने निगरानी संसाधनों के उपयोग से सटीक लक्ष्य भेदने का अभ्यास किया। अभ्यास के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रतिस्पर्धी वातावरण में लड़ाकू विमानों, लंबी दूरी की रॉकेट प्रणालियों, मध्यम तोपखानों, सशस्त्र हेलिकॉप्टरों, टोडी ड्रोनों, घूमते हथियारों और कामिकेज ड्रोनों की समन्वित संयुक्त मारक क्षमता के माध्यम से लक्ष्यों को तेजी से नष्ट किया गया।
अधिकारी ने बताया कि यह एक्सरसाइज नवंबर 2024 में आयोजित ‘अभ्यास पूर्वी प्रहार’ की निरंतरता से जुड़ा है, जो विमानन परिसंपत्तियों के एकीकृत अनुप्रयोग पर केंद्रित था।
शीर्ष अधिकारियों ने की अभ्यास की समीक्षा
पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी, पूर्वी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल सूरत सिंह और पश्चिम बंगाल के नौसेना ऑफिसर-इन-चार्ज कमोडोर अजय यादव ने अभ्यास की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने प्रतिभागियों की उनके उच्च पेशेवर मानकों के लिए सराहना की।
सशस्त्र बलों की तकनीकी श्रेष्ठता का प्रमाण
रक्षा अधिकारी ने कहा कि अभ्यास ‘प्रचंड प्रहार’ संघर्ष के पूरे परिदृश्य को कवर करते हुए तीनों सेनाओं में एकीकृत योजना, कमान और नियंत्रण के साथ-साथ निगरानी और अग्निशक्ति मंचों के निर्बाध क्रियान्वयन को पुख्ता करता है। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास से सशस्त्र बलों की एकजुटता, सटीकता और तकनीकी श्रेष्ठता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता साबित हुई है।