ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में कार्यभार संभालते ही सीजेआई सूर्यकांत ने बड़े एलान कर दिए हैं। अब कोर्ट में तारीख पर तारीख आसान नहीं होगी। बड़े प्रशासनिक बदलाव लागू करने का एलान करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केस लिस्टिंग, जल्द सुनवाई और स्थगन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से व्यवस्थित करने की बात कही। 1 दिसंबर से नए नियम लागू हो गए। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार इन चार सर्कुलरों का सबसे बड़ा असर यह होगा कि सीनियर एडवोकेट अब किसी भी मामले की मौखिक मेंशनिंग नहीं कर सकेंगे और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े सभी जरूरी मामलों की स्वत: लिस्टिंग दो वर्किंग-डे के अंदर होगी और वो भी बिना किसी मेंशनिंग की जरूरत के। अदालत ने यह भी साफ कर दिया है कि तुरंत अंतरिम राहत वाले मुद्दे जैसे बेल, अग्रिम जमानत, हैबियस कॉर्पस, डेथ पेनल्टी, बेदखली या ध्वस्तीकरण रोक बिना देरी सीधे सूचीबद्ध किए जाएंगे।
सीजेआई सूर्यकांत के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद जारी ये सुधार सुप्रीम कोर्ट में अनियंत्रित मौखिक मेंशनिंग को रोकने, सुनवाई की टाइमलाइन को पारदर्शी बनाने और लिबर्टी–संबंधी मामलों को तेजी से निपटाने के लक्ष्य के तहत लागू किए गए हैं। अब एडवोकेट्स को स्लॉट के लिए प्रतिस्पर्धा या कई बार मेंशनिंग का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। साथ ही कोर्ट ने स्थगन की प्रक्रिया को एक सख्त और एकसमान ढांचे में ढाल दिया है। अब केवल विरोधी पक्ष की पूर्व–सहमति होने पर ही स्थगन का अनुरोध स्वीकार होगा, वह भी तय समयसीमा के भीतर।
पूरा सिस्टम हुआ री–डिजाइन
नए निर्देशों के अनुसार, कोर्ट में मौखिक मेंशनिंग केवल उन्हीं मामलों के लिए होगी जो एक दिन पहले जारी ‘मेंशनिंग लिस्ट’ में शामिल हों। सीनियर काउंसल को मेंशनिंग से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है जबकि युवा जूनियर वकीलों को यह जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। दूसरी ओर स्वत: सूचीबद्ध होने वाले मामलों में सबसे बड़ा सुधार बेल प्रणाली में हुआ है। जैसे ही कोई जमानत याचिका रजिस्टर होती है, एडवोकेट–ऑन–रिकॉर्ड को तुरंत संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश या केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसल को ‘एडवांस कॉपी’ देना अनिवार्य होगा। इसकी ‘प्रूफ ऑफ सर्विस’ जमा किए बिना याचिका न तो वेरीफाई होगी और न ही लिस्ट। इससे सरकार की ओर से अदालत में प्रभावी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी स्पष्ट हो गई है।
गैर–स्वचालित मामलों में समयबद्ध रास्ता
जहां स्वत: लिस्टिंग लागू नहीं होगी, वहां वकीलों को तय प्रोफॉर्मा और विस्तृत अर्जेंसी लेटर के साथ दोपहर 3 बजे तक आवेदन देना होगा।
शनिवार को यह सीमा 11:30 बजे तक रहेगी। अत्यंत जरूरी मामलों में यह दस्तावेज 10:30 बजे तक जमा किया जा सकता है, लेकिन केवल तभी, जब अर्जेंसी लेटर यह साबित करे कि मामला सामान्य प्रक्रिया का इंतजार नहीं कर सकता।
स्थगन प्रक्रिया में भी कड़े नियम
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्थगन केवल शोक, गंभीर स्वास्थ्य कारण या बेहद जरूरी परिस्थितियों में ही दिया जाएगा। ऑनलाइन निर्धारित फॉर्मेट में ईमेल द्वारा भेजना अनिवार्य होगा और पहले लिए गए स्थगनों की संख्या बतानी होगी। ये चारों सर्कुलर मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एक अनुशासित, समय–सीमित और पूर्वानुमेय लिस्टिंग प्रणाली की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं, खासकर उन मामलों के लिए जो सीधे किसी नागरिक की स्वतंत्रता से जुड़े हैं।































